बौद्ध संघ में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था
Mohammed
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कौन से बौद्ध ग्रंथ में बौद्ध संघ या मठों में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था?
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REET Level 2 Social Science - 23rd July 2022 (S2) (Hindi-English-Sanskrit)
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विनय पिटक सुत्त पिटक अभिधम्म पिटक जातक
Answer (Detailed Solution Below)
Option 1 : विनय पिटक
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त्रिपिटक का विनय पिटक या थेरवाद बौद्ध धर्म के सैद्धांतिक सिद्धांत की पहली पुस्तक वह पाठ है जिसमें उन लोगों के लिए नियमों और विनियमों का समूह शामिल है जो संघ या मठवासी व्यवस्था में शामिल हुए थे।
Important Pointsबौद्ध धर्म की दो शाखाएँ थेरवाद (या हीनयान) और महायान स्कूल हैं।
हालांकि महायान स्कूल को थेरवाद स्कूल से अलग कहा जाता है, वे भी इसका सम्मान करते हैं लेकिन इसे विहित के बजाय अतिरिक्त मानते हैं।
विनय पिटक त्रिपिटकों की पहली पुस्तक है और इसका अनुवाद 'अनुशासन की टोकरी' में किया गया है।यह मठवासी जीवन और भिक्षुओं और ननों की दैनिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए बौद्ध धर्म के जिम्मेदार दिशानिर्देशों का पालन करता है। महायान स्कूलों में भी, नियम अनिवार्य रूप से समान हैं।विनय पिटक में तीन कार्य हैं:
सुत्त-विभाग मठवासी नियमों या पतिमोक्खा की व्याख्या है। नियमों को गंभीरता के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है, जिसमें उल्लंघन से लेकर निष्कासन की आवश्यकता वाले आदेश से लेकर केवल स्वीकारोक्ति की आवश्यकता वाले लोग शामिल हैं।खंडका 22 वर्गों का एक संग्रह है जिसमें क्रम में कैसे शामिल हों, मठ के संस्कार, भोजन, कपड़े और आवास के नियम, और अपराधों और विवादों को कैसे संभालना है, आदि शामिल हैं। सुत्त-विभंग के समान, उस अवसर का विवरण दिया गया है जिस पर बुद्ध द्वारा प्रत्येक नियम का निर्माण किया गया था। महत्वपूर्ण घटनाओं के आख्यान प्रस्तुत किए जाते हैं, और कालानुक्रमिक क्रम प्रारंभिक मठवासी समुदाय के जीवन के बदलते तरीके की एक तस्वीर पेश करता है।परिवार या परिशिष्ट स्पष्ट रूप से थेरवाद स्कूल के लिए विशिष्ट है और अन्य विनय ग्रंथों में पाए जाने वाले नियमों का एक वर्गीकृत संकलन थेरवाद स्कूल में पढ़ाया जाता है।इसलिए, विनय पिटक बौद्ध ग्रंथ में बौद्ध संघ या मठों में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था।
Additional Informationत्रिपिटक निम्न हैं-विनय पिटक- यह शिष्य की टोकरी है- जो मठवासी जीवन के नियमन प्रदान करती है।सुत्त पिटक- यह प्रवचन की टोकरी है- इसमें बुद्ध या कभी-कभी उनके शिष्यों को दिए जाने वाले जिम्मेदार उपदेश और सैद्धांतिक और नैतिक प्रवचन शामिल हैं।अभिधम्म पिटक- यह विशेष/आगे के सिद्धांत की टोकरी है- यह सुत्त में बुद्ध की शिक्षाओं के विस्तृत शैक्षिक विश्लेषण और सारांश से संबंधित है।Download Solution PDF
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Last updated on Jan 6, 2023
Rajasthan 3rd Grade Teacher Recruitment for Level 1 & Level 2 will be done through the scores of REET 2022. 48,000 vacancies have been released for this recruitment. Earlier, the REET 2022 Certificate Notice is out, for candidates on 6th December 2022! Candidates can download the certification through the official certificate link. REET 2022 Written Exam Result was out on 29th September 2022! The final answer key was also out with the result. The exam was conducted on the 23rd and 24th of July 2022. The candidates must go through the REET Result 2022 to get the direct link and detailed information on how to check the result. The candidates who will be finally selected for 3rd Grade Teachers are expected to receive Rs. 23,700 as salary. Then, the candidates will have to serve a probation period which will last for 2 years. Also, note during probation, the teachers will receive only the basic salary.India’s #1 Learning Platform
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हिन्दू-धर्म में वेदों का जो स्थान है, बौद्ध धर्म में वही स्थान पिटकों का है। भगवान बुद्ध ने अपने हाथ से कुछ नहीं लिखा था। उनके उपदेशों को उनके शिष्यों ने पहले कंठस्थ किया, फिर लिख लिया। वे उन्हें पेटियों में रखते थे। इसी से नाम पड़ा, 'पिटक'। - pitaka
बौद्ध धर्मग्रंथ पिटक के सिद्धांत जानिए
हिन्दू-धर्म में वेदों का जो स्थान है, बौद्ध धर्म में वही स्थान पिटकों का है। भगवान बुद्ध ने अपने हाथ से कुछ नहीं लिखा था। उनके उपदेशों को उनके शिष्यों ने पहले कंठस्थ किया, फिर लिख लिया। वे उन्हें पेटियों में रखते थे। इसी से नाम पड़ा, 'पिटक'। पिटक तीन हैं:-
1) विनय पिटक : इसमें विस्तार से वे नियम दिए गए हैं, जो भिक्षु-संघ के लिए बनाए गए थे। इनमें बताया गया है कि भिक्षुओं और भिक्षुणियों को प्रतिदिन के जीवन में किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए।2) सुत्त पिटक : सबसे महत्वपूर्ण पिटक सुत्त पिटक है। इसमें बौद्ध धर्म के सभी मुख्य सिद्धांत स्पष्ट करके समझाए गए हैं। सुत्त पिटक पांच निकायों में बंटा है:-* दीघ निकाय,* मज्झिम निकाय,* संयुत्त निकाय,* अंगुत्तर निकाय और* खुद्दक निकाय।खुद्दक निकाय सबसे छोटा है। इसके 15 अंग हैं। इसी का एक अंग है 'धम्मपद'। एक अंग है 'सुत्त निपात'।
ALSO READ: तिपिटक में संग्रहित है बुद्धवाणी3) अभिधम्म पिटक : अभिधम्म पिटक में धर्म और उसके क्रियाकलापों की व्याख्या पंडिताऊ ढंग से की गई है। वेदों में जिस तरह ब्राह्मण-ग्रंथ हैं, उसी तरह पिटकों में अभिधम्म पिटक हैं।* धम्मपद :हिन्दू-धर्म में गीता का जो स्थान है, बौद्ध धर्म में वही स्थान धम्मपद का है। गीता जिस प्रकार महाभारत का एक अंश है, उसी तरह धम्मपद सुत्त पिटक के खुद्दक निकाय का एक अंश है।
धम्मपद में 26 वग्ग और 423 श्लोक हैं। बौद्ध धर्म को समझने के लिए अकेला धम्मपद ही काफी है। मनुष्य को अंधकार से प्रकाश में ले जाने के लिए यह प्रकाशमान दीपक है। यह सुत्त पिटक के सबसे छोटे निकाय खुद्दक निकाय के 15 अंगों में से एक है।
'को नु हासो किमानन्दो निच्चं पज्जलिते सति।अंधकारेन ओनद्धा पदीपं न गवेसथ॥'धम्मपद में दिए गए इस श्लोक का तात्पर्य है कि यह हंसना कैसा? यह आनंद कैसा? जब नित्य ही चारों ओर आग लगी है। संसार उस आग में जला जा रहा है। तब अंधकार में घिरे हुए तुम लोग प्रकाश को क्यों नहीं खोजते? - शतायु
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त्रिपिटक
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त्रिपिटकविनय पिटक सुत्त- विभंग खन्धक परि- वार सुत्त पिटक दीघ निकाय मज्झिम निकाय संयुत्त निकाय अंगुत्तर निकाय खुद्दक निकाय अभिधम्म पिटक ध॰सं॰ विभं॰ धा॰क॰
पुग्॰ क॰व॰ यमक पट्ठान
देखें • संवाद • संपादन
त्रिपिटक (पाली:तिपिटक; शाब्दिक अर्थ: तीन पिटारी) बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद आदि) मानते हैं। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ हैं जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत है।[1] यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है। इस ग्रंथ में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्त्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है[2]। त्रिपिटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 100 से ईसा पूर्व 500 है। और सभी त्रिपिटक सिहल देश यानी की श्री लंका में लिखा गया और उनकी भाषा में लिखा गया।नोट- त्रिपिटक बौद्ध ग्रंथ बौद्ध कालीन भाषा (पाली भाषा) से अनुवादित है जिसके कुछ शब्द संस्कृत भाषा से मेल खाते है, अतः अनुवाद का अर्थ विभिन्न भी हो सकता है
अनुक्रम
1 ग्रंथ-विभाजन 2 परिचय 3 महत्व 4 इन्हें भी देखें 5 बाहरी कड़ियाँ 6 टीका
ग्रंथ-विभाजन[संपादित करें]
बौद्ध धर्मकी श्रेणी का हिस्सा
बौद्ध धर्म का इतिहास
· बौद्ध धर्म का कालक्रम
· बौद्ध संस्कृति
बुनियादी मनोभावचार आर्य सत्य ·
आर्य अष्टांग मार्ग ·
निर्वाण · त्रिरत्न · पँचशील
अहम व्यक्तिगौतम बुद्ध · बोधिसत्व
क्षेत्रानुसार बौद्ध धर्मदक्षिण-पूर्वी बौद्ध धर्म
· चीनी बौद्ध धर्म
· तिब्बती बौद्ध धर्म ·
पश्चिमी बौद्ध धर्म
बौद्ध साम्प्रदायथेरावाद · महायान · वज्रयान
बौद्ध साहित्यत्रिपतक · पाळी ग्रंथ संग्रह
· विनय
· पाऴि सूत्र · महायान सूत्र
· अभिधर्म · बौद्ध तंत्र
त्रिपिटक को तीन भागों में विभाजित किया गया है, विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्म पिटक। इसका विस्तार इस प्रकार है[1]- त्रिपिटक में १७ ग्रंथो का समावेश है।
(१) विनयपिटकसुत्तविभंग (पाराजिक, पाचित्तिय)
खन्धक (महावग्ग, चुल्लवग्ग)
परिवार पातिमोक्ख
(२) सुत्तपिटकदीघनिकाय मज्झिमनिकाय संयुत्तनिकाय अंगुत्तरनिकाय खुद्दकनिकाय खुद्दक पाठ धम्मपद उदान इतिवुत्तक सुत्तनिपात विमानवत्थु पेतवत्थु थेरगाथा थेरीगाथा जातक निद्देस पटिसंभिदामग्ग अपदान बुद्धवंस चरियापिटक
(३) अभिधम्मपिटकधम्मसंगणि विभंग धातुकथा पुग्गलपंञति कथावत्थु यमक पट्ठान।
परिचय[संपादित करें]
बौद्ध-परम्परा के अनुसार त्रिपिटक तीन संगीतियों से स्थिर हुआ। कहा जाता है कि बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद सुभद्र नामक भिक्षु ने अपने साथियों से कहा- ‘‘आवुसो, शोक मत करो, रुदन मत करो ! हम लोगों को महाश्रमण से छुटकारा मिल गया है। वे हमेशा कहते रहते थे- ‘यह करो, यह मत करो’। लेकिन अब हम जो चाहेंगे करेंगे। जो नहीं चाहेंगे, नहीं करेंगे।’’
सुभद्र भिक्षु के ये वचन सुनकर महाकाश्यप स्थविर को भय हुआ कि कहीं सद्धर्म का नाश न हो जाए। अतएव उन्होंने विनय और धर्म के संस्थापन के लिए राजगृह में 500 भिक्षुओं की एक संगीति बुलवायी। बौद्ध भिक्षुओं की दूसरी संगीति बुद्ध-परिनिर्वाण के 100 वर्ष बाद वैशाली में बुलाई गयी। बुद्ध-परिनिर्वाण के 236 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक के समय तिस्स मोग्गलिपुत्त ने तीसरी संगीति बुलायी, जिसमें थेरवाद का उद्धार किया गया।
वर्तमान त्रिपिटक वही त्रिपिटक है जो सिंहल के राजा वट्टगामणी के समय प्रथम शताब्दी के अन्तिम रूप से स्थिर हुआ माना जाता है।
महत्व[संपादित करें]
बौद्ध त्रिपिटक अनेक दृष्टियों से बहुत महत्त्व का है। इसमें बुद्धकालीन भारत की राजनीति, अर्थनीति, सामाजिक व्यवस्था, शिल्पकला, संगीत, वस्त्र-आभूषण, वेष-भूषा, रीति-रिवाज तथा ऐतिहासिक, भौगोलिक, व्यापारिक आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों का विस्तार से प्रतिपादन है। उदाहरण के लिए, विनयपिटक में बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों के आचार-व्यवहार सम्बन्धी नियमों का विस्तृत वर्णन है। ‘महावग्ग’ में तत्कालीन जूते, आसन, सवारी, ओषधि, वस्त्र, छतरी, पंखे आदि का उल्लेख है। ‘चुल्लवग्ग’ में भिक्षुणियों की प्रव्रज्या आदि का वर्णन है। यहाँ भिक्षुओं के लिए जो शलाका-ग्रहण की पद्धति बताई गयी है। वह तत्कालीन लिच्छवि गणतंत्र के ‘वोट’ (छन्द) लेने के रिवाज की नकल है। उस समय के गणतन्त्र शासन में कोई प्रस्ताव पेश करने के बाद, प्रस्ताव को दुहराते हुए उसके विषय में तीन बार तक बोलने का अवसर दिया जाता था। तब कहीं जाकर निर्णय सुनाया जाता था। यही पद्धति भिक्षु संघ में स्वीकार की गयी थी।
‘सूत्रपिटक’ (सुत्तपिटक) के अन्तर्गत दीर्घनिकाय में पूरणकस्सप, मक्खलि गोसाल, अजित केसकम्बल, पकुध कच्चायन, निगंठ नातपुत्त और संजय वेलट्ठिपुत्त नामक छह यशस्वी तीर्थकरों का मत-प्रतिपादन, लिच्छवियों की गण-व्यवस्था, अहिंसामय यज्ञ, जात-पाँत का खण्डन आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों का उल्लेख है। ‘मज्झिमनिकाय’ में बुद्ध की चारिका, नातपुत्त-मत-खण्डन, अनात्मवाद, वर्ण-व्यवस्था-विरोध, मांसभक्षण-विचार आदि विषयों का प्रतिपादन है। ‘संयुत्तनिकाय’ में कोसल के राजा पसेनदि और मगध के राजा अजातशत्रु के युद्ध का वर्णन है।
‘अंगुत्तरनिकाय’ में सोलह जनपद आदि का उल्लेख है। ‘खुद्दकनिकाय’ के अन्तर्गत ‘धम्मपद’ और सुत्तनिपात’ बहुत प्राचीन माने जाते हैं जिनका बौद्ध साहित्य में ऊँचा स्थान है। ‘सुत्तनिपात’ में सच्चा ब्राह्मण कौन है ? वास्तविक मांस-त्याग किसे कहते हैं ? आदि विषयों का मार्मिक वर्णन है। ‘थेरगाथा’ और ‘थेरीगाथा’ में अनेक भिक्षु-भिक्षुणियों की जीवनचर्या दी गई है, जिन्होंने बड़े-बड़े प्रलोभनों को जीतकर निर्वाण पदवी पायी।
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