सहनक्षमता को निर्धारित करने वाले किन्हीं दो शारीरिक कारकों का वर्णन कीजिए।
Mohammed
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सहन क्षमता को प्रभावित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक बताइए।
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सहन क्षमता को प्रभावित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक बताइए।
Solution
एरोबिक क्षमता:ऑक्सीजन लेना तथा ग्रहण करना (Oxygen Intake)
ऑक्सीजन परिवहन (Oxygen Transport)
ऑक्सीजन अंत: ग्रहण (Oxygen Uptake)
ऊर्जा भंडार (Energy Reserves)
एनारोबिक क्षमता:ATP और CP का शरीर में भण्डारण।
बफ्फर क्षमता माँसपेशियों में अम्ल संचय को प्रभावहीन बनाना।
लैक्टिक अस्ल की सहनशीलता।
VO2 Max यह ऑक्सीजन की वह मात्रा होती है जो सक्रिय मांसपेशियाँ व्यायाम के दौरान एक मिनट में प्रयोग में लाती है।
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Category Class 12 Physical Education Notes in HindiMedium Hindi Class 12 Physical Education Chapter 7 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेलों में चोटें Notes In Hindi जिसमे हम शारीरिक पुष्टि के घटकों को निर्धारित करने वाले शरीर – क्रियात्मक कारक कार्डियो श्वसन संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव माँसपेशीय संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव बुढ़ापे के कारण शरीर क्रियात्मक परिवर्तन खेल चोटें – वर्गीकरण कारण बचाव प्राथमिक चिकित्सा – लक्ष्य व उद्देश्य आदि के बारे में पड़ेंगे ।Class 12 Physical Education Chapter 7 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेलों में चोटें Injuries in physiology and sports Notes In Hindi
📚 अध्याय = 7 📚💠 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेलों में चोटें 💠
❇️ शारीरिक पुष्टि के घटक :-🔶 शक्ति :-माँसपेशियों का आकार माँसपेशियों की रचना शरीर का भार
तंत्रिका आवेग की तीव्रता
गतिविधि में भाग लेने वाली मांसपेशियों का समन्वय
माँसपेशी की अतिवृिद्धि/अतिपुष्टि
🔶 गति :-विस्फोट शक्ति माँसपेशीय संयोजन
माँसपेशीय की लोच और आराम की योग्यता
स्नायु संस्थान की गतिशीलता
जैव रासायनिक भंडार तथा उपापचय योग्यता
लचक
🔶 सहन क्षमता :-ऐरोबिक क्षमता एनारोबिक क्षमता क्रियाओं का अपव्यय मांसपेशीय संरचना
🔶 लचक :-जोड़ों की शारीरिक संरचना
आयु – लिंग माँसपेशीय शक्ति
माँसपेशीय का लचीलापन
व्यक्ति की स्थिति चोटें माँसपेशीय खिंचाव वातावरण
सक्रिय और गतिहीन जीवनशैली
❇️ शक्ति को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक :-🔹 किसी व्यक्ति की शक्ति की प्रभावित करने कारक इस प्रकार है :-
🔶 मांसपेशियों का आकार :- बड़ी तथा विशाल मासपेशियाँ अधिक शक्ति उत्पन्न करती है पुरूषों की मांसपेशियाँ बड़ी होती है । इसलिए वे शक्तिशाली होती है । भार प्रशिक्षण की सहायता से मांसपेशी के आकार को बढ़ाया जा सकता है ।🔶 शरीर का भार :- अधिक भार वाले व्यक्ति हल्के व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होते है । जैसे अधिक शरीर भार वाले भारोत्तलक ।🔶 मांसपेशी संरचना :- जिन मांसपेशीयों में फॉस्ट टिवच फाइबर की प्रतिशतता अधिक होती है । वे अधिक शक्ति उत्पन्न करते है । जबकि स्लो ट्विच फाइवर्स शीघ्रता से संकुचित नहीं हो सकते , किंतु वे लंबी अवधियों तक संकुचित रहने की क्षमता रखते है । इन फाइबर्स की प्रतिशतता का निर्धारण आनुवंशिक तौर पर किया जाता है ।🔶 तंत्रिका आवेग की प्रबलता :- जब किसी केन्द्रीय स्नायु संस्थान ( CNS ) से आने वाली अधिक तीव्र तंत्रिका आवेग अधिक संख्या में गत्यात्मक ईकाइयों की उद्दीप्त करता है । तो मांसपेशी अधिक बल से संकुचित होती है । और अधिक बल उत्पन्न करती है ।
❇️ सहन क्षमता को प्रभावित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक :-🔶 एरोबिक क्षमता :-ऑक्सीजन लेना तथा ग्रहण करना ।
ऑक्सीजन परिवहन ऑक्सीजन अंत : ग्रहण ऊर्जा भड़ार
🔶 एनारोबिक क्षमता :-ATP और CP का शरीर में भड़ारण ।
बफ्फर क्षमता माँसपेशियों में अम्ल संचय को प्रभावहीन बनाना ।
लैक्टिक अम्ल की सहनशीलता ।
Vo2 Max यह ऑक्सीजन की वह मात्रा होती है जो सक्रिय मांसपेशियाँ व्यायाम के दौरान एक मिनट में प्रयोग में लाती है ।
❇️ लचक को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक :-🔶 मांसपेशीय शक्ति :- मांसपेशियों में शक्ति का एक न्यूनतम स्तर होना आवश्यक है । विशेषकर गुरूत्व तथा बाहरी बल के विरूद्ध ।🔶 में जोड़ों की बनावट :- मानव शरीर में कई प्रकार के जोड़ होते है । कुछ जोड़ो में मूलभूत रूप से अन्य जोड़ों की अपेक्षा अधिक प्रकार की गतियाँ करने की क्षमता होती है । उदाहरण- कंधे के ‘ बाल एवं सॉकेट जोड़ की घुटने के जोड़ की अपेक्षा गति की सीमा कहीं अधिक होती है ।🔶 आंतरिक वातावरण :- किसी खिलाड़ी का आंतरिक वातावरण भी खिलाड़ी की लचक को निर्धारित करता है । उदाहरण- 10 मिनट तक गर्म पानी में रहने से शरीर के तापमान तथा लचक में वृद्धि होती है । तथा 10 ° C तापमान में बाहर रहने से कमी होती है ।
🔶 चोट :- संयोजक ऊतको तथा मांसपेशियों में चोट के कारण प्रभावित क्षेत्र में सूजन हो सकती है , रेशेदार ऊतक कम लचीले होते है , तथा अंगों के संकुचन को कम कर सकते है । जिससे लचीलेपन में कमी का कारण बन है ।
🔶 आयु तथा लिंग :- आयु में वृद्धि के साथ – साथ लचक में भी कमी आती है । यह प्रशिक्षणीय है । इसमें प्रशिक्षण द्वारा वृद्धि की जा सकती है । चूँकि इससे शक्ति तथा सहन शक्ति में वृद्धि होती है । लिंग भी लचक को निर्धारित करता है । पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक लचक पाई जाती हैं ।
🔶 सक्रिय और गतिहीन जीवन शैली :- नियमित व्यायाम लचक को बढ़ाती है । जबकि निष्क्रिय व्यक्ति लचक को कोमल ऊतको और जोड़ों के न सिकुड़ने तथा फैलने के कारण खो देता है ।
🔶 वशांकुक्रम :- लिगामेंट और कैप्सूल की संरचनाओं के कारण अस्थि संरचना के जोड़ और लम्बाई वशांनुगत है जिसमें खिंचाव वाले व्यायामों के द्वारा लचक उत्पन्न नहीं की जा सकती ।
❇️ गति को निर्धारित करने वाले शरीर क्रियात्मक कारक :-🔶 विस्फोत्क शक्ति :- प्रत्येक तीव्र तथा विस्फोट गतिविधि हेतु विस्फोटक शक्ति होना जरूरी है , जैसे किसी मुक्केबाज में विस्फोटक शक्ति की कमी होगी तो वह मुक्केबाजी में तेज पंच नहीं मार सकता , इसके अतिरिक्त विस्फोटक शक्ति मांसपेशिय संरचना , आकार तथा सामंजस्य पर भी निर्भर करती है ।
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