1999 mein sushma swaraj ne inmein se kis neta ke khilaf loksabha chunav lada tha
Mohammed
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सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज
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२०१७ में स्वराज विदेश मंत्री
पद बहाल२६ मई २०१४ – 24 मई 2019
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पूर्वा धिकारी सलमान खुर्शीद
विदेश मंत्री
पद बहाल२६ मई २०१४ – ७ जनवरी २०१६
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पूर्वा धिकारी वयलार रवि
उत्तरा धिकारी स्थान समाप्त
विपक्ष की नेता
पद बहाल२१ दिसम्बर २००९ – २६ मई २०१४
पूर्वा धिकारी लाल कृष्ण आडवाणी
उत्तरा धिकारी रिक्त
संसदीय मामलों की मंत्री
पद बहाल२९ जनवरी २००३ – २२ मई २००४
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी प्रमोद महाजन
उत्तरा धिकारी गुलाम नबी आजाद
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री
पद बहाल२९ जनवरी २००३ – २२ मई २००४
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी सी पी ठाकुर
उत्तरा धिकारी अम्बुमणि रामदौस
सूचना एवं प्रसारण मंत्री
पद बहाल३० सितम्बर २००० – २९ जनवरी २००३
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी अरुण जेटली
उत्तरा धिकारी रवि शंकर प्रसाद
दिल्ली की मुख्यमंत्री
पद बहाल१३ अक्तूबर १९९८ – ३ दिसम्बर १९९८
राज्यपाल विजय कपूर
पूर्वा धिकारी साहिब सिंह वर्मा
उत्तरा धिकारी शीला दीक्षित
संसद सदस्य विदिशा से
पदस्थकार्यालय ग्रहण१३ मई २००९
पूर्वा धिकारी रामपाल सिंह
संसद सदस्य दक्षिण दिल्ली से
पद बहाल७ मई २००६ – ३ अक्तूबर १९९९
पूर्वा धिकारी मदन लाल खुराना
उत्तरा धिकारी विजय कुमार मल्होत्रा
जन्म 14 फरवरी, 1952
अम्बाला छावनी, पंजाब, भारत
(अब हरियाणा, भारत में)
मृत्यु 6 अगस्त 2019
एम्स दिल्ली (रात 11.23 बजे) नई दिल्ली, भारत
जन्म का नाम सुषमा शर्मा
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगी स्वराज कौशल
शैक्षिक सम्बद्धता सनातन धर्म कालेज
पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगड
सुषमा स्वराज (१४ फरवरी,१९५२- ०६ अगस्त, २०१९) एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की पूर्व विदेश मंत्री थीं।[1] वे वर्ष २००९ में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन २००९ के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के १९ सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रही थीं।अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष २०१४ में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,[2] जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी थीं। कैबिनेट में उन्हें शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा। [3] दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
अनुक्रम
1 प्रारम्भिक जीवन
2 हिन्दी, संस्कृत की पक्षधर
3 राजनीतिक जीवन
4 कीर्तिमान एवं उपलब्धियां
5 पति-पत्नी दोनों ही राजनीति में
6 आसीन पद 7 सन्दर्भ 8 इन्हें भी देखें 9 बाहरी कड़ियाँ
प्रारम्भिक जीवन[संपादित करें]
सुषमा स्वराज (विवाह पूर्व शर्मा)[4] का जन्म १४ फरवरी १९५२ को हरियाणा (तब पंजाब) राज्य की अम्बाला छावनी में,[5] हरदेव शर्मा तथा लक्ष्मी देवी के घर हुआ था उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य रहे थे। स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था, जो अब पाकिस्तान में है।[6] उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया।[7] १९७० में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार एस॰डी॰ कालेज छावनी की एन सी सी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी वक्ता भी चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से विधि की शिक्षा प्राप्त की।[8] पंजाब विश्वविद्यालय से भी उन्हें १९७३ में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था। १९७३ में ही स्वराज भारतीय सर्वोच्च न्यायलय में अधिवक्ता के पद पर कार्य करने लगी।[7] १३ जुलाई १९७५ को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ,[9] जो सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे, और इसके अतिरिक्त वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है, बांसुरी, जो लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।[10][11]६७ साल की आयु में ६ अगस्त, २०१९ की रात ११.२४ बजे सुषमा स्वराज का दिल्ली में निधन हो गया।
हिन्दी, संस्कृत की पक्षधर[संपादित करें]
सुषमा स्वराज की हिन्दी पर बड़ी शानदार पकड़ थी। उनकी हिंदी में तत्सम शब्द अधिक होते थे। फिर भी उनकी भाषा बनावटी नहीं लगती थी। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने अपने एक चर्चित भाषण में सितम्बर 2016 में सयुंक्त राष्ट्र में हिन्दी में ही भाषण दिया था।उनके इस भाषण की पूरे देश में चर्चा हुई थी। विश्व हिन्दी सम्मेलनों में वे बढ़चढ़कर भाग लेतीं थीं। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भी उन्होने अनेक प्रयत्न किए।[12]
संस्कृत से भी उनका विशेष प्रेम था। वे सदा संस्कृत में शपथ लेतीं थीं। उन्होने अनेक अवसरों पर संस्कृत में भाषण दिया। 2012 में ‘साउथ इंडिया एजुकेशन सोसायटी’ ने सुषमा को पुरस्कार दिया जो मुंबई में सम्पन्न हुआ। संस्कृत के अनेक विद्वान आए थे। सम्मान प्राप्ति के पश्चात जब भाषण देने की बारी आई, तो सुषमा ने बोलने के लिए संस्कृत को चुना। सम्मान में जो धनराशि मिली थी, वो संस्था को लौटाते हुए बोलीं कि संस्कृत के ही काम में वो पैसा लगा दें। इसी प्रकार जून 2015 में 16वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक में हुआ जिसकी मुख्य अतिथि सुषमा स्वराज थीं। उन्होने पांच दिन के इस सम्मेलन का उद्घाटन भाषण संस्कृत में दिया था।
Bellary Where Did Sonia Gandhi And Sushma Swaraj Compete Sushma Swaraj Learned Kannada To Win The Election ABPP
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत कल यानी 15 अक्टूबर को कर्नाटक के बेल्लारी में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं. बेल्लारी में होने वाली ये रैली कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
बेल्लारी : जहां हुई थी सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज की जंग, जानिए किसने सीखी थी कन्नड़
बेल्लारी : जहां हुई थी सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज की जंग, जानिए किसने सीखी थी कन्नड़ राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत कल यानी 15 अक्टूबर को कर्नाटक के बेल्लारी में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं. बेल्लारी में होने वाली ये रैली कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
By: अलका राशि | Updated at : 14 Oct 2022 05:11 PM (IST)
सोनिया गांधी, सुुषमा स्वराज (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)
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कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आज 37वां दिन है. फिलहाल राहुल गांधी कर्नाटक में मौजूद हैं. उन्होंने इस राज्य में अपनी पदयात्रा की शुरुआत चित्रदुर्ग के चल्लकेरे टाउन से की. राहुल गांधी अब 15 अक्टूबर को कर्नाटक के बेल्लारी में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं. इस रैली में राहुल गांधी के अलावा कई प्रदेशों के अध्यक्ष और विधायक दल के नेता भी भाग लेंगे.
बेल्लारी में होने वाली ये रैली पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, वह इसलिए भी क्योंकि यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है. कांग्रेस और बेल्लारी का रिश्ता जितना पुराना है उतना ही दिलचस्प भी है. दरअसल साल 1999 में राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव इसी लोकसभा सीट से लड़ा था.
खनिज संपदा से भरपूर बेल्लारी कर्नाटक के 28 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास भी काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. यही वह लोकसभा सीट है जहां साल 1999 में सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज आमने सामने आई थीं और सुषमा स्वराज ने सोनिया को हराने के लिए 1 महीने के अंदर कन्नड़ सीख सबका दिल जीत लिया था.
दरअसल बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने जीवन में चार राज्यों में 11 चुनाव लड़े. लेकिन कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट का चुनाव काफी चर्चित रहा था. हालांकि इस चुनाव में जीत सोनिया गांधी की हुई थी.
सोनिया गांधी को हराने के लिए सीखी थी कन्नडइस चुनाव का ये किस्सी बेहद मशहूर है कि साल 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी के खिलाफ बीजेपी ने सुषमा स्वराज को चुनाव मैदान में उतारा था. उस वक्त सुषमा स्वराज ने उस चुनाव को जीतने के लिए एड़ी से चोटी तक का दम लगा दिया था.
उन्होंने वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत करने और उनकी परेशानी सुनने के लिए कन्नड़ सीखनी शुरू कर दी थी. हैरानी की बात ये है कि वह एक महीने के अंदर कन्नड़ सीखने में सफल भी रहीं.
इसके बाद क्या था मैदान में उतरी सुषमा स्वराज ने चुनावी रैलियों में कन्नड़ में धाराप्रवाह भाषण देना शुरू कर दिया. उन्हें हिंदी भाषी नेताओं की तरह अब कर्नाटक में ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं पड़ती थी.
सुषमा की रैली में एक बार अटल बिहारी वाजपेयी पहुंचे और वहां उन्होंने देखा की सुषमा स्वराज कन्नड़ भाषा में जबरदस्त भाषण दे रही हैं. अटल बिहारी वाजपेयी को उस वक्त काफी हैरानी भी हुई और उन्होंने रैली में उनकी तारीफ भी की थी.
कन्नड़ में भाषण देने के चलते सुषमा ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान न केवल बेल्लारी बल्कि कर्नाटक की जनता का दिल जीता. हालांकि उस क्षेत्र में कांग्रेस की पैठ इतनी मजबूत थी कि सुषमा स्वराज को 56 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस हार में भी सुषमा की जीत देखी गई. क्योंकि सोनिया गांधी उस समय प्रधानमंत्री पद की दावेदार थीं.
आम तौर पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों की जीत का अंतर 1 लाख से ज्यादा ही होता है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुषमा ने कहा भी था कि अगर हार-जीत का अंतर 50 हजार वोटों के आसपास का रहता है तो जीत मेरी ही मानी जाएगी.
वहीं बीजेपी की सुषमा स्वराज को हराने के बाद सोनिया गांधी ने बेल्लारी लोकसभा सीट को छोड़ दिया और अमेठी को चुना. बेल्लारी के चुनाव में 29 साल के राहुल और 27 साल की प्रियंका गांधी ने एक हफ्ते तक अपनी मां के साथ प्रचार किया था.
7 साल के बाद सत्ता की वापसीइसी बेल्लारी ने साल 2013 विधानसभा चुनाव में सात साल बाद कांग्रेस को सत्ता वापस दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. साल 2010 में विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने खनन माफिया रेड्डी भाईयों के विरोध में बेंगलुरु से बेल्लारी तक 350 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली थी.
उन्होंने ऐसा कदम बीजेपी सरकार के खिलाफ उठाया था. बेल्लारी की इस पद यात्रा से जनता का मन कांग्रेस के पक्ष में बदल गया और बीजेपी को सिद्धारमैया के हाथों अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था.
बेल्लारी का इतिहासबेल्लारी दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है. वर्तमान में यह कर्नाटक का एक बड़ा जिला है, जो कभी विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. कर्नाटक से पहले बेल्लारी मद्रास प्रेसीडेंसी और आंध्र प्रदेश के अंतर्गत था. देश के आजाद होने के बाद यानी साल 1956 में यह कर्नाटक को सौंपा गया.
कहते हैं कि बेल्लारी एक वक्त में काली कमाई का गढ़ माना जाता था. इस जिले में देश का करीब 25 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार है. यहां का लौह अयस्क अच्छी क्वालिटी का माना जाता है. इसमें 60 से 65 प्रतिशत तक लोहा होता है. एक अनुमान के मुताबिक बेल्लारी में करीब 99 लौह अयस्क माइन्स हैं.
साल 1994 तक इस जिले में कुछ सरकारी कंपनियां ही थीं. लेकिन लौह अयस्क का भंडार होने के कारण धीरे धीरे सरकार ने प्राइवेट ऑपरेटर्स को माइनिंग का लाइसेंस दे दिया. वहीं दूसरी पड़ोसी देश चीन ने लौह अयस्क की मांग बढ़ा दी.
जिसके कारण साल 2000 से 2008 के बीच वर्ल्ड मार्केट में लौह अयस्क की कीमत करीब तीन गुना बढ़ गई. दुनिया के तमाम लौह अयस्क के बड़े एक्सपोटर्स में भारत भी शामिल हो गया. सरकार ने लौह अयस्क खनन में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की परमिशन दे दी.
वहीं दूसरी तरफ विदेशी निवेश के अचानक बढ़ जाने के कारण बेल्लारी में प्राइवेट कंपनियों को होड़ लग गई. इन कंपनियों को लाइसेसं राजनीति और उनकी ऊंची पहुंच के हिसाब से दी जाने लगा.
इसने कर्नाटक की राजनीति को भी प्रभावित किया. दरअसल अब लाइसेंस और खनन को लेकर प्राइवेट कंपनियों और नेताओं की बीच बड़ी से बड़ी डील होने लगी. मीडिया में बेल्लारी को नया गणतंत्र कहा जाने लगा.
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