antriksh mein jaane wale pahle vyakti yuri gagarin ne apni yatra ke dauran inmein se kya khaya tha
Mohammed
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यूरी गगारिन
यूरी गगारिन
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नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ यूरी गगारिन Yuri Gagarin Юрий Гагарин
राष्ट्रीयता सोवियत स्तर मृतक जन्म ९ मार्च १९३४
क्लूशीनो, रूस, सोवियत संघ
मृत्यु 27 मार्च 1968 (उम्र 34)
नोवोसिओलोवो, रूस, सोवियत संघ
अन्य व्यवसाय पायलट
रैंक कर्नल, सोवियत वायु सेना
अंतरिक्ष में समय 1 घंटा, 57 मिनट
चयन वायु सेना समूह 1
मिशन वोस्तोक 1 पुरस्कार
यूरी गगारिन (Yuri Gagarin) (9 मार्च 1934 – 27 मार्च 1968), भूतपूर्व सोवियत संघ के हवाबाज़ और अंतरिक्ष यात्री थे।[1] १२ अप्रैल, १९६१ को अंतरिक्ष में जाने वाले वे प्रथम मानव थे।[2]अन्तरिक्ष की यात्रा करने के बाद गगारिन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्ति बन चुके थे और उन्हें कई तरह के पदक और खिताबों से सम्मानित किया गया था। उन खिताबों में से एक ख़िताब था हीरो ऑफ़ द सोवियत यूनियन (Hero of the Soviet Union) था। उन्होंने Vostok 1 नामक अन्तरिक्ष यान में अपनी यात्रा की थी।
१९६८ जब वे मिग १५ (MiG-15) नामक प्रशिक्षण विमान का संचालक कर रहे थे तो, विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी।
यूरी गगारिन पदक उनके सम्मान में प्रदान किया जाता है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
स्कॉट केली नील आर्मस्ट्रांग एडगर मिशेल कल्पना चावला
सन्दर्भ[संपादित करें]
↑ "Yuri Gagarin: The journey that shook the world". मूल से 13 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 नवंबर 2017.
↑ "THE FIRST SPACE PIONEERS". मूल से 12 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 नवंबर 2017.
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श्रेणियाँ: Heroes of the Soviet UnionRecipients of the Order of Leninरूस आधारमृत लोग1934 में जन्मे लोग१९६८ में निधनरूस के अंतरिक्षयात्रीसोवियत संघ के अंतरिक्षयात्री
यूरी गागरिन: इंसान की पहली अंतरिक्ष यात्रा कितनी ख़तरनाक थी
साठ साल पहले आज ही के दिन 12 अप्रैल, 1961 को यूरी गागरिन अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के पहले शख़्स बने थे.
यूरी गागरिन: इंसान की पहली अंतरिक्ष यात्रा कितनी ख़तरनाक थी
पावेल एक्सेनोव और निकोलाय वोरोनिन
बीबीसी रूसी सेवा 12 अप्रैल 2021
इमेज स्रोत, GETTY IMAGES
"दुनिया से बहुत दूर, यहां मैं एक टिन के डिब्बे में बैठा हूं. पृथ्वी का रंग नीला है और यहां कुछ भी नहीं जो मैं कर सकूं."डेविड बोई के स्पेस ओडिटी एलबम के इस लाइन में वह सब मौजूद है जो अंतरिक्ष में जाने वाले पहले शख़्स यूरी गागरिन ने महसूस किए होंगे. दो मीटर व्यास वाले छोटे से स्पेसक्राफ़्ट में यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री की बजाय महज़ एक यात्री की तरह अंतरिक्ष गए थे.
यूरी गागरिन ऐसे यान में थे जिसके कंट्रोल को वह छू भी नहीं सकते थे. कंट्रोल रूम से हुए उनके संवाद के मुताबिक़ अंतरिक्ष यान की कैप्सूल विंडो से उन्हें पृथ्वी बड़ी सुंदर दिखाई दी थी. पृथ्वी पर बादलों की छाया मनमोहक दृश्य पैदा कर रही थी.
यूरी गागरिन 12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष जाने वाले पहले शख़्स बने थे. यह अंतरिक्ष की लड़ाई में अमेरिका पर सोवियत संघ की जीत थी. उनकी सकुशल वापसी ने तो इस जीत को निर्विवाद बना दिया था.
इतिहास बनाने के लिए गागरिन ने अदम्य बहादुरी दिखाते हुए ख़तरनाक चुनौती स्वीकार की थी. उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी थी. वे ऐसे यान से वहां जा रहे थे जिसमें किसी आपात स्थिति में बचाव की कोई व्यवस्था नहीं थी.
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मॉस्को की एक शाम और यूरी गागरिन की आदमकद प्रतिमा के पास चिमनियों से निकलता धुआं
ख़तरे के खिलाड़ी थे यूरी गागरिन
जिस रॉकेट से उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाना था, वह पहले कई बार नाकाम हो चुका था. असल में गागरिन को ऐसे प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया गया था जिससे कई सवालों के जवाब मिलने थे.
जैसे कि क्या मनुष्य अंतरिक्ष में जीवित रह सकता है? क्या अंतरिक्ष यान से यात्रा की जा सकती है? क्या अंतरिक्ष यान का पृथ्वी से संपर्क बना रहेगा जो प्रभावी भी हो? क्या अंतरिक्ष यान की सुरक्षित वापसी हो पाएगी? इस यात्रा से इन सभी सवालों के जवाब मिल गए.
उस दौर में किसी भी रॉकेट, अंतरिक्ष यान, संवाद उपकरणों पर लोगों को बहुत भरोसा नहीं था. अंतरिक्ष में मनुष्यों के जीवित रहने को लेकर भी कोई ख़ास जानकारी नहीं थी.
इस मिशन के क़रीब 50 साल बाद 'रॉकेट्स एंड पीपल्स' नामक पुस्तक में इंजीनियर बोरिस चेरटोक ने लिखा, "अगर वोस्तोक अंतरिक्ष यान को आज के वैज्ञानिकों के सामने रखा जाए तो कोई भी इस मिशन के पक्ष में नहीं होगा. उस वक़्त मैंने ही उन दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए थे जिनमें लिखा था कि यान में सब ठीक है और मैं इस मिशन के सुरक्षित होने की गारंटी देता हूं. आज की तारीख़ में मैं यह कभी नहीं करता. हमने इसमें कितना जोख़िम लिया था, इसका पता मुझे काफ़ी अनुभव के बाद चला."
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वोस्तोक अंतरिक्ष यान को भेजने की ज़िम्मेदारी आर-7 रॉकेट पर थी
वोस्तोक की नाकामी
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वोस्तोक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजने की ज़िम्मेदारी दो चरणों वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल आर-7 रॉकेट पर थी. इससे अगस्त, 1957 में पहली बार अंतरिक्ष यान को भेजा गया था. उसी साल पहला कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक-1 का प्रक्षेपण आर-7 ने किया था.
आर-7 का डिज़ाइन काफ़ी सफल रहा था. रूस में आज भी इस परिवार की मिसाइलों का उपयोग अंतरिक्ष यान को भेजने के लिए किया जाता है. हालांकि अब यह तकनीक काफ़ी पुरानी हो चुकी है, पर अंतरिक्ष यान को कक्षा में स्थापित करने के लिए यह काफ़ी भरोसेमंद है.
हालांकि 1961 में यह विश्वसनीयता नहीं थी. चेरटोक ने अपनी किताब में लिखा, "यदि हम रॉकेट के मौजूदा सुरक्षा मानकों को देखें तो 1961 से पहले हमारे पास उम्मीद की कोई वजह नहीं थी. लेकिन 1961 में हमने कम से कम आठ बार सफलता से इसका प्रक्षेपण किया था. हालांकि 1960 के पाँच प्रक्षेपणों में से चार नाकाम हो गए थे. इसमें से तीन पृथ्वी की कक्षा से बाहर हो गए थे. केवल दो वापसी कर पाए थे. इनमें से एक ही सामान्य रूप से उतर पाया था."
वोस्तोक अभियान का पहला प्रक्षेपण 15 मई, 1960 को हुआ था. और एक साल के भीतर यूरी गागरिन का मिशन आ गया. 15 मई, 1960 के प्रक्षेपण में एक पुतले को अंतरिक्ष यान में भेजा गया था. इस पुतले का नाम इवान इवानोविच रखा गया था.
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यूरी गगारिन दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री थे
यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा से बाहर चला गया और वापस नहीं लौट पाया. इसके ओरिएंटेशन सिस्टम यानी दिशा-निर्देश वाली प्रणाली ने काम करना बंद कर दिया था. 19 अगस्त, 1960 को बेल्का और स्ट्रेल्का नाम के दो कुत्तों ने अंतरिक्ष यात्रा की थी जो सकुशल वापस लौट आए थे.
जानिए अंतरिक्ष में कदम रखने वाले पहले शख्स के बारे में...
57 साल पहले आज के दिन ही यूरी गागरिन 27 साल की उम्र में अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे. वो दुनिया के पहले इंसान थे, जिन्होंने आउटर स्पेस में कदम रखा और इतिहास रच दिया.
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जानिए अंतरिक्ष में कदम रखने वाले पहले शख्स के बारे में... 57 साल पहले आज के दिन ही यूरी गागरिन अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे. वो दुनिया के पहले इंसान थे, जिन्होंने आउटर स्पेस में कदम रखा और इतिहास रच दिया था.
yuri gagarin
प्रियंका शर्मा
नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2018,
(अपडेटेड 13 अप्रैल 2018, 12:55 PM IST)
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12 अप्रैल 1961 को 27 साल के यूरी गागरिन ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया था. वह पहले शख्स थे जिन्होंने दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरणा दी. ये भी कहा जाता है कि रूसी-सोवियत पायलट गागरिन ने ही अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की थी. इसलिए हर साल 12 अप्रैल को 'इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट' मनाया जाता है.
आइए जानते हैं यूरी गागरिन के बारे में दिलचस्प बातें...- रूसी-सोवियत पायलट और कॉस्मोनॉट यूरी गैगरिन का जन्म 9 मार्च 1934 में हुआ था.
- 12 अप्रैल, 1961 को यूरी गागरिन ने 'वोस्ताक-1' में बैठ कर पृथ्वी का ऑरबिट पूरी की थी.
- आउटर स्पेस में पहुंचने वाले वो दुनिया के पहले इंसान थे. जाने से पहले उन्होंने कहा 'पोयेखाली' जिसका अर्थ होता है 'अब हम चले'. ये दुनिया के लिए ऐसा समय था जब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक आम आदमी आसमान के पार जा सकता है.
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- यूरी ने पृथ्वी की कक्षा में 108 मिनट तक चक्कर लगाया. उन्होंने 203 मील की उंचाई पर 27000 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज गति का सामना किया.
- 16 साल की उम्र में उन्होंने फाउंड्रीमैन के रूप में ट्रेनिंग की. बाद में उन्होंने ट्रैक्टर के बारे में पढ़ाई की. 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया. साथ ही, वहां के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे.
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- जब यूरी 6 साल के थे तब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया था. इसलिए उनका परिवार दो साल तक झोपड़ी में रहा. स्कूल के समय में यूरी गैगरिन का सबसे पसंदीदा विषय मैथ्स था.
- आपको एक मजेदार बात बताएं कि यूरी गैगरिन को उनके छोटे कद के कारण ही इस अभियान के लिए चुना गया था. उनका कद मात्र पांच फुट दो इंच था.
- 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया. साथ ही, वहां के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे.
- आसमान को छुने वाले पहले शख्स 'कॉस्मोनॉट यूरी गैगरिन' ने 1968 में 27 मार्च को दुनिया को अलविदा कह दिया था. मिग-15 ट्रैनिंग जेट हादसे का शिकार हो गया, जिसमें यूरी गैगरिन की मौत हो गई थी.
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