apne jeevan ka lakshya nishchit karte samay hamen kis se prerna leni chahie
Mohammed
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हमें किन लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए?
जवाब (2 में से 1): अब ये चीजे भी आपके स्वभाव और दिलचस्पी पे निर्भर करता है।आप कैसा बनना चाहते है और किस चीज में आपकी रुचि है।
हमें किन लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए?
छांटें Vivek Goel
एच पी युनिवर्सिटी में वाणिज्य विषय की पढ़ाई की है (1999 में स्नातक)लेखक ने 721 जवाब दिए हैं और उनके जवाबों को 69 हज़ार बार देखा गया है3वर्ष
हमे उन लोगो से प्रेरणा लेनी चाहिए जिनका चरित्र साफ़ हो या कहे जिनके चरित्र पर कोई दाग ना हो।
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Utpal Ghosh
Physics maths chemistry और Political Science (Hons.), J J college , jhumri telaiya Koderma (jharkhand) में B.A(2016-2019)लेखक ने 98 जवाब दिए हैं और उनके जवाबों को 27.3 हज़ार बार देखा गया है3वर्ष
अब ये चीजे भी आपके स्वभाव और दिलचस्पी पे निर्भर करता है।आप कैसा बनना चाहते है और किस चीज में आपकी रुचि है।
लाइफ कोच वीरेंद्र कुमार चौधरी
पूर्व CEO, कपड़ा उद्योग (1981–2021)लेखक ने 455 जवाब दिए हैं और उनके जवाबों को 4.6 लाख बार देखा गया है1वर्ष
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मेरा गुजारिश है आप सभी से जो भी इस मुहिम से जुड़ना चाहे नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें एवं ज्यादा से ज्यादा रूरल स्टूडेंट्स को लाने की कोशिश करें।
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Praveen Kumar Awasthi
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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य
UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड) These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Hindi
UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड)
January 4, 2022 by Safia
UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड)
These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड).
विस्तृत उत्तरीय प्रश्नप्रश्न 1.निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :(पथ की पहचान)1. पुस्तकों में है नहीं ……………………………………………………………. पहचान कर ले। अथवा पुस्तकों में ……………………………………………………………. की जबानी।शब्दार्थ-बटोही = राहगीर। बाट = रास्ता । पंथी = पथिक। पंथ = मार्ग। सन्दर्भ-यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से उद्धृत है।प्रसंग – इसमें कवि चाहता है कि हमें कोई भी कार्य सोच-विचारकर करना चाहिए। लक्ष्य चुन लेने के बाद उस काम की कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिए।
व्याख्या – कवि कहता है कि हमारे जीवन-पथ की कहानी पुस्तकों में नहीं लिखी होती है, वह तो हमें स्वयं ही बनानी पड़ती है, दूसरे लोगों के कथन के अनुसार भी हम अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित नहीं कर सकते। इसका निर्धारण हमें स्वयं ही करना पड़ेगा। इस संसार में अनेक लोग पैदा हुए और मर गये। उन सबकी गणना नहीं की जा सकती, परन्तु कुछ ऐसे कर्मवीर भी यहाँ जन्मे हैं जिनके पदचिह्न मौन भाषा में उनके (UPBoardSolutions.com) महान् कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। उन सभी कर्मठ महापुरुषों ने काम करने से पहले खूब सोच-विचार किया और फिर जी-जान से अपने कार्य में जुटकर सफलता प्राप्त की। अतः हे राहगीर, उनसे प्रेरणा ग्रहण कर अपना मार्ग निश्चित कर ले और तब उस पर चलना शुरू कर।
काव्यगत सौन्दर्यकार्य करने से पहले सोच-विचार करने की प्रेरणा दी गयी है।
सच्चे कर्मवीर बनने को उत्साहित किया गया है।
भाषा-सरल तथा खड़ीबोली।
शैली-गीत शैली। रस-शान्त। अलंकार-विरोधाभास
2. यह बुरा है या कि ……………………………………………………………. पहचान कर ले।सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।प्रसंग – कवि बताता है कि विवेकपूर्वक किसी कार्य को चुन लेने पर उसके मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों या अन्य कारणों से उसे अधूरा छोड़ देना ठीक नहीं है।व्याख्या – कवि कहता है कि विवेकपूर्ण कार्य का चुनाव करने के पश्चात् उसकी अच्छाई-बुराई पर सोचना व्यर्थ है-क्योंकि उस पथ को छोड़कर दूसरे पर चलना भी सम्भव नहीं हो सकेगा। कठिनाइयाँ तो हर मार्ग में होती हैं। इसलिए हे पंथी, अपने निश्चित कार्य को श्रेष्ठ समझकर उसे तुरन्त शुरू कर दे। यह कार्य करते समय तुझे आनन्द की अनुभूति होती रहेगी। ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि कठिनाइयाँ तुझे ही उठानी पड़ रही हैं। (UPBoardSolutions.com) वास्तविकता यह है कि जीवन में जिसे भी सफलता मिली है, वह अपने कार्य को श्रेष्ठ समझता रहा है। इसलिए तुम भी अपने कार्य को श्रेष्ठ समझो। सोच-विचार करना है तो कार्य का चुनाव करने से पहले किया करो।काव्यगत सौन्दर्यकवि व्यक्ति को चुने हुए कार्य में तन-मन से जुट जाने की प्रेरणा देता है।
भाषा-सरल- सुबोध खड़ीबोली।
शैली-प्रवाहपूर्ण गीत शैली।
रस-शान्त शब्द-शक्ति-लक्षणा। अलंकार-अनुप्रास।
3. है अनिश्चित किस ……………………………………………………………. पहचान कर ले। अथवा है अनिश्चित ……………………………………………………………. सुन्दर मिलेंगे।शब्दार्थ-सरिता = नदी गह्वर = गुफा। शर = बाण आन = प्रतिज्ञा। बाट = मार्ग।सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।प्रसंग – इसमें कवि जीवन-पथ में आनेवाले सुख-दु:खों के प्रति सचेत करता हुआ मनुष्य को निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहा है।व्याख्या – कवि कहता है कि हे जीवन-पथ के मुसाफिर ! यह नहीं बताया जा सकता है कि तेरे मार्ग में किस स्थान पर नदी, पर्वत और गुफाएँ मिलेंगी । तेरे मार्ग में कब कठिनाइयाँ और बाधाएँ आयेंगी, यह नहीं कहा जा सकता। यह भी नहीं कहा जा सकता कि तेरे जीवन के मार्ग में किस स्थान पर सुन्दर वन और उपवन मिलेंगे। तेरे जीवन में कब सुख-सुविधाएँ प्राप्त होंगी। यह भी निश्चित नहीं कहा जा सकता कि कब तेरी जीवन-यात्रा समाप्त होगी और कब तेरी मृत्यु होगी।कवि आगे कहता है कि यह बात भी अनिश्चित है कि मार्ग में कब तुझे फूल मिलेंगे और कब काँटे तुझे घायल करेंगे। तेरे जीवन में कब सुख प्राप्त होगा और कब दु:ख-यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। यह भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि तेरे जीवन-मार्ग में कौन परिचित व्यक्ति (UPBoardSolutions.com) मिलेंगे और कौन प्रियजन अचानक तुझे छोड़ जायेंगे। हे पथिक! तू अपने मन में प्रण कर ले कि जीवन की कठिनाइयों की परवाह न करके तुझे आगे बढ़ते जाना है।
हे जीवन-पथ के यात्री! तू पथ पर चलने से पूर्व जीवन में आनेवाले सुख-दुःख को भली-भाँति जानकर अपने मार्ग की पहचान कर ले।
काव्यगत सौन्दर्यकवि ने जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रति मानव को सचेत किया है।
भाषा-सरल खड़ीबोली।
शैली–प्रतीकात्मक, वर्णनात्मक।
रस-शान्त शब्दशक्ति-लक्षणा।
अलंकार-अनुप्रास, रूपक।
4. कौन कहता है ……………………………………………………………. कर ले।शब्दार्थ-यत्न = प्रयत्न, कोशिश। ध्येय = लक्ष्य निलय = घर, नीड़, घोंसला । मुग्ध होना = रीझना।सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।प्रसंग – यथास्थिति और मनुष्य की महत्त्वाकांक्षा में क्या तालमेल होना चाहिए-इन पंक्तियों में इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया गया है।व्याख्या – हे पथिक! तुमसे ऐसा किसी ने नहीं कहा है कि तुम अपने मन में स्वप्नों अर्थात् मधुर कल्पनाओं को न लगाओ। सब लोगों की अपनी-अपनी स्वप्निल कल्पनाएँ होती हैं। अपनी-अपनी उम्र और अपने-अपने समय में सभी ने इन्हें देखा है और अपने मन में उन्हें जगह दी है। हे पथिक! तू प्रयत्न करने पर भी इसमें सफल नहीं हो सकता कि तेरी कल्पनाएँ। मन में न उठे। ये स्वप्न, ये कल्पनाएँ व्यर्थ नहीं होतीं, इनका भी अपना लक्ष्य या ध्येय होता है। ये स्वप्न जबे आँखों के नीड़ में उपजते हैं, तब उनका अपना ध्येय होता है, ये व्यर्थ नहीं जाते, (UPBoardSolutions.com) किन्तु स्वप्नों से यथार्थ को झुठलाया नहीं जा सकता। कारण यह है कि स्वप्न या कल्पनाएँ जीवन में बहुत कम हैं, उनके सामने यथार्थ सत्य अनगिनत हैं। सत्य का मुकाबला कल्पनाओं से मत करो। संसार के रास्ते में यदि स्वप्न दो हैं, तो सत्य दो-सौ अर्थात् कल्पनाएँ बहुत कम हैं, यथार्थ बहुत अधिक हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि तुम कल्पनाओं पर ही मत रीझते रहो वरन् सत्य क्या है-इसका भी निर्धारण कर लो। हे पथिक! चलने से पहले अपने रास्ते की पहचान कर लो।स्रोत : www.upboardsolutions.com
जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति कैसे करें
जानिए जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति कैसे करें तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए? How to Achieve Goals in Life in Hindi language.
जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति कैसे करें
By admin / May 31, 2017
जीवन में कोई भी सफलता अर्जित करने के लिए सबसे पहला कदम आपके द्वारा अपने लक्ष्यों का निर्धारण करना होता है। लक्ष्य निर्धारण एक ऐसी गतिविधि है जिसके लिए आपको पर्याप्त समय देने की आवश्यकता होती है और यही आपके समय का सदुपयोग है। क्योंकि, एक बार जब आप अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर लेते हैं तो आप उन्हें प्राप्त करने का प्रयास शुरू कर सकते हैं और साथ ही लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपना ध्यान उन प्रयासों पर बेहतर तरीके से केंद्रित कर पाते है।
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए? (How to Achieve Goals in Life in Hindi)
अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए क्या जरूरी है? लक्ष्यों को प्राप्त करने का सपना देखना निश्चित रूप से सुंदर होता है लेकिन उन्हें हासिल करने के लिए क्या करना चाहिए यह जानना भी आवश्यक है। आप कहीं ना कहीं से शुरूआत करते हैं और वही आपका शुरुआती बिंदु है जहां आप किसी विशेष समय पर होते हैं और वहीं से आप अपने निर्धारित लक्ष्य जो कि आपका गंतव्य है के लिए पहला कदम बढ़ाते हैं। आपके लक्ष्य तक पहुंचने की यात्रा को सफल बनाने के लिए क्या महत्वपूर्ण है यह पता लगाना भी आवश्यक है। आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुकूल प्रयास करना चाहिए और आपका प्रयास आपके लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
आइए पता लगाते हैं कि हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए क्या ज़रूरी है।
अपने लक्ष्य को निर्धारित करना ही सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है और यदि आपका प्रयास कामचलाऊ है और आप जो करने जा रहे हैं उसके प्रति यदि आप गंभीर नहीं है तो संभवतः आप अपने लिए अभी तक कोई लक्ष्य निर्धारित किया ही नहीं है या यह भी हो सकता है कि आपका लक्ष्य अस्पष्ट हो। तो, सबसे पहले आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें। आप छुट्टी के दिनों को छोड़कर रोजाना स्कूल जाते हैं लेकिन आपको अपना अध्ययन अच्छी तरह से करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। आखिरकार आप स्कूल जाने के लिए कितनी परेशानियां उठाते हैं तो फिर अध्ययन क्यों नहीं अच्छी तरह से कर पाते हैं? चाहे यह शिक्षा प्राप्त करना हो या खेल या पाठयक्रम से संबंधित अन्य गतिविधियां सभी के लिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है। इसी तरह, यदि आप एक पेशेवर हैं तो आपको अपने पेशे में शिखर तक पहुंचने के लिए भी लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है क्योंकि अपने लक्ष्यों को स्थापित करने का अभ्यास आपको उन्हें प्राप्त करने के बारे में अधिक गंभीर बनाता है।
लक्ष्य को कैसे निर्धारित करें और उसे प्राप्त करने के लिए क्या करेंअपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट रहें। आपका लक्ष्य क्या है, क्या यह सिर्फ स्कूल पहुंचना है या यह समय पर स्कूल पहुंचना है? इसी से सारा फर्क पड़ जाता है। आपको परिणाम भी, जो आपने लक्ष्य निर्धारित किया है, उसी के आधार पर मिलेगा। यदि आपसे देर से स्कूल पहुंचने के लिए पूछताछ होती है तो वह शायद इसीलिए है क्योंकि आपने समय पर स्कूल पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित ही नहीं किया था। तो, आप अपने लक्ष्यों के बारे में स्पष्ट रहें और अपने लिए सिर्फ अर्थपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित करें।
आपको अपने उन लक्ष्यों की पहचान करनी पड़ेगी जिन्हें आप चेतन एवं अवचेतन दोनो ही अवस्थाओं में प्राप्त करने की कोशिश करते रहते हैं। यदि आप अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत हैं और आपके लक्ष्य स्पष्ट हैं तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों का बिल्कुल सटीक विवरण दे सकते हैं। इसलिए आपको अच्छी तरह से सोच-विचारकर अपना लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए और फिर तदनुसार उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
एक साथ आपके कई लक्ष्य हो सकते हैंहर समय आपके कई छोटे या बड़े लक्ष्य होते हैं और इन लक्ष्यों का आप किसी भी समय पता लगा सकते हैं। ये लक्ष्य तात्कालिक, अल्पावधि या मध्यम अवधि के या दीर्घकालिक और यहां तक की पूरे जीवन के लक्ष्य हो सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर समय पर अपने कार्यालय पहुंचना शायद आपका तात्कालिक लक्ष्य हो सकता है।
अगर आपको अपना काम पूरा करना की आवश्यकता है और इसे स्कूल या कॉलेज में या आपके कार्यालय में अपने मालिक को दो दिनों के भीतर जमा करना है तो यह आपका अल्पावधि का लक्ष्य है।
इसी प्रकार यदि आप अपने कार्यालय में वित्तीय वर्ष के लिए अपना लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं तो यह आपका मध्यम अवधि का लक्ष्य है। वैसे ही स्कूल या कॉलेज में वार्षिक परीक्षा के लिए अपना पाठ्यक्रम पूरा करना भी आपका मध्यम अवधि का लक्ष्य हो सकता है।
साथ ही आप एक लंबे समय के दौरान अपने व्यवसाय में सफल होने का लक्ष्य बना सकते हैं या आप अपनी पढ़ाई पूरी करने का लक्ष्य निर्धारण कर सकते हैं और उसके बाद एक पेशेवर वास्तुकार बनने का लक्ष्य बना सकते हैं यह भी हो सकता है कि शायद आपने जरूरतमंदों की सहायता के लिए एक बड़ा धर्मार्थ अस्पताल स्थापित करने का लक्ष्य बनाया हो।
और साथ ही आपका लक्ष्य यह भी हो सकता है कि आपने सामान्य तौर पर, जीवन में अपने समाज के लिए एक अच्छा, धार्मिक एवं प्रसन्नचित्त व्यक्ति बनने का लक्ष्य निर्धारित किया हो।
आप अपने प्रत्येक लक्ष्यों को महत्व देते हैं और आप अपने सभी लक्ष्यों को अपने संबंधित समय सीमा में हासिल करना चाहते हैं। क्यों सही है न? निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जो आपको अपने लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने में आपकी मदद करते हैं:
व्यावहारिक बनेंआप अपने निर्धारित लक्ष्यं के प्रति व्यावहारिक नजरिया अपनाएं अर्थात् आपको अपने लक्ष्यों के निर्धारण एवं उन्हें हासिल करने के लिए जरूरी प्रयासों के बारे में व्यावहारिक होना पड़ेगा।
यदि आप एक ऐसा लक्ष्य निर्धारित करते हैं जिसे आप संभवत: प्राप्त नहीं कर सकते, तो फिर ऐसे लक्ष्य का क्या उपयोग है?
यदि आप अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं जिसमें किसी भी तरह के संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो संभवत: आपके पास नहीं हैं तो ऐसे लक्ष्य का क्या मतलब है। यदि आपमें शारीरिक ताकत और सहनशक्ति या स्वास्थ्य की कमी है, लेकिन फिर भी आप एक खिलाड़ी बनने का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो आप काफी सफल नहीं हो सकते हैं। बेशक, आप अपने स्वास्थ्य को अचछा करने और ताकत को बढ़ाने के प्रयास भी कर सकते हैं, लेकिन अगर यह असंभव नहीं है तो इस प्रकार का लक्ष्य निर्धारित करने से आपको बचना चाहिए।
Guys, does anyone know the answer?