bharat ka sanvidhan 26 january 1950 ko kyon lagu kiya gaya
Mohammed
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2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था संविधान, जानिए 26 जनवरी को ही क्यों हुआ था लागू?
आज पूरा देश 73वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। आज ही के दिन 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था और भारत गणतंत्र बना था। इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। | Today History Aaj Ka Itihas (आज का इतिहास) Bharat Mein Aaj Ka Itihaas | What Is The Significance Of Today? What Famous Thing Happened On This Day In history; Rakesh Sharma Indian Astronaut To Travel To Space 42 आज पूरा देश 73वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। आज ही के दिन 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था और भारत गणतंत्र बना था।
आज का इतिहास:2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था संविधान, जानिए 26 जनवरी को ही क्यों हुआ था लागू?
एक वर्ष पहले
आज पूरा देश 73वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। आज ही के दिन 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था और भारत गणतंत्र बना था। इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
26 जनवरी 1950 को अंग्रेजों द्वारा बनाए गए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की जगह भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान वैसे तो 26 नवंबर 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था और इसे संविधान सभा की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ था संविधान?ऐसा करने की एक खास वजह थी, दरअसल, 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 तक इंतजार किया गया।
दरअसल, 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। उस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी भारत को 26 जनवरी 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। फिर 26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।
इसके बाद 15 अगस्त 1947 तक यानी अगले 17 वर्षों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से ही 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे और पहले गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया था
राजेंद्र प्रसाद ने फहराया था गणतंत्र दिवस पर पहली बार तिरंगाभारत के गणतंत्र बनने की घोषणा देश के आखिरी गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी ने की थी। भारत 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर गणतंत्र बना था और इसके 6 मिनट बाद 10:24 मिनट पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।
पहले गणतंत्र दिवस समारोह में राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया।उन्होंने हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में भाषण दिया था। तब से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को एक राष्ट्रीय उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। इससे एक साल पहले यानी 9 दिसंबर 1946 को तय हुआ कि भारत का अपना संविधान होगा और इसके लिए संविधान सभा बनाई गई थी। 2 साल 11 महीने और 18 दिन तक चली मैराथन बैठकों के बाद संविधान बना और 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे मंजूरी दी, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
2001: भूकंप से कांप उठा था गुजरातआज ही के दिन 2001 में भारत के पश्चिमी हिस्से में जोरदार भूकंप से गुजरात कांप उठा था। इस प्राकृतिक आपदा में हजारों लोगों की मौत हुई थी। गुजरात का भुज शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.9 से 7.9 के बीच थी। इसका असर पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और साउथ इंडिया तक पर पड़ा था। इस भूकंप में, हजारों लोगों की मौत हो गई थी। हजारों की संख्या में लोग इमारतों के मलबे में दब गए थे। भुज के एक स्कूल में 400 से ज्यादा बच्चे दब गए थे।
भारत और दुनिया में 26 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:2020: 41 साल के अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी कोबी ब्रायंट की हेलीकॉप्टर क्रैश होने की वजह से मौत हो गई थी।2015: मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण का निधन हुआ था।2010: भारत ने मीरपुर में बांग्लादेश से दूसरा टेस्ट 10 विकेट से जीता और सीरीज पर 2-0 से कब्जा किया।2008: ब्रिटेन की एक अदालत ने श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे के नेता मुरलीधरन को 9 महीने की कैद की सजा सुनाई।2004: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने माइक्रोसॉफ्ट प्रमुख बिल गेट्स को नाइट की उपाधि से सम्मानित करने की घोषणा की।1999: महिलाओं के यौन शोषण पर विश्व सम्मेलन ढाका में आयोजित हुआ।1972: शहीद सैनिकों की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर 'अमर जवान राष्ट्रीय स्मारक' की स्थापना की गई थी।1950: 26 जनवरी को भारत का संविधान लागू और देश गणतंत्र बना।खबरें और भी हैं...
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गणतन्त्र दिवस (भारत)
गणतन्त्र दिवस (भारत)
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नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ गणतन्त्र दिवस
अनुयायी भारत
प्रकार राष्ट्रीय अवकाश
उत्सव परेड, भाषण, विद्यालयों में मिठाइयों का वितरण एवम् सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि।
आरम्भ 26 जनवरी 1950[1]
तिथि २६ जनवरी आवृत्ति वार्षिक
गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतन्त्रता दिवस और गांधी जयंती हैं।एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसे लागू करने के लिये 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।
इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति दिल्ली के लाल किले पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है। राजपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
देश के हर कोने मे जगह जगह ध्वजवन्दन होता है और कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विश्व भर में फैले हुए भारतीय मूल के लोग तथा भारत के दूतावास भी गणतंत्र दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनातें हैं।
अनुक्रम
1 गणतंत्र दिवस मनाने का उद्देश्य
2 इतिहास
3 गणतंत्र दिवस समारोह
4 गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि
5 चित्रदीर्घा 6 इन्हें भी देखें 7 सन्दर्भ 8 बाहरी कड़ियाँ
गणतंत्र दिवस मनाने का उद्देश्य[संपादित करें]
गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि 26 जनवरी 1950 को पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगा कर बनाया गया संविधान लागू किया गया था और हमारे देश भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया।
वेसे तो हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद हो गया था परंतु इस आज़ादी को रूप 26 जनवरी को दिया गया। तब से अब तक हम इस दिवस को आज़ादी के दिन के रूप मे मनाते है आज हमे आज़ादी मिले हुए पूरे 73 साल हो चुके है
हमारे देश की आज़ादी किसी भी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुई हमारे देश की आज़ादी बहुत सारे भगत सिंह, महात्मा गांधी आदि जैसे महान पुरूषो के बलिदान का परिणाम है। देश भक्त अपने देश को गुलामी की ज़नज़ीरो से बंधा ना देख सके अपने देश को आज़ाद कराने के लिए उन्होने अपने प्राण तक त्याग दिये उनके बलिदानों के कारण अंग्रेज़ों को अपने घुटने टेकने पड़े और उन्होने भारत को आज़ाद कर दिया।
गणतंत्र दिवस के दिन हम इन महान पुरुषों के बलिदान को याद करत और प्रेरणा लेते है कि हम भी इन्ही महान पुरुषों की तरह अपने देश के लिए अपने प्राण त्याग देंगे उसकी आन मान और शान की रक्षा के लिए हर समय तय्यार रहेंगे और दोबारा कभी अपने देश को गुलामी की ज़नज़ीरो में बंधने नहीं देंगे हम सब को इन देश भक्तो से प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की हिफाज़त के लिए तय्यार रहना चाहिए। े है गणतंत्र दिवस को मनाने का एक उद्देश्यकि हम महान पुरुषों के बलिदान को याद करके उनसे प्रेरणा लेते है।
प्रत्येक भारत वासियों को भारत के शहीदों से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने देश को ऊँचायो तक पहुंचाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए और हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि वह देश के विकास के लिए अपना पूरा योगदान दे और देश की रक्षा के लिए हर समय खड़ा रहे।
इतिहास[संपादित करें]
सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का पद प्रदान नहीं करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरंभ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई। जैसा कि आप सभी जानते है कि 15 Aug 1947 को अपना देश हजारों देशभक्तों के बलिदान के बाद अंग्रेजों की दासता (अंग्रेजों के शासन) से मुक्त हुआ था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को अपने देश में भारतीय साशन और कानून व्यवस्था लागू हुई। भाईयो और बहनों ने इस स्वतन्त्रता को पाने में अपने देश की हजारों-हजारों माताओं की गोद सूनी हो गई थी, हजारों बहनों बेटियों के माँग का सिंदूर मिट गया था, तब कहीं इस महान बलिदान के बाद देश स्वतंत्र हो सका था। जिस तरह देश का संविधान है, ठीक उसी तरह परमात्मा का भी संविधान है, यदि हम सब देश की संविधान की तरफ परमात्मा के संविधान का पालन करें तो समाज अपराध मुक्त व सशक्त बन सकता है।[2]
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Updated: January 25, 2021 4:00 PM IST
By Avinash Rai
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संविधान हुआ लागू (Indian Constitution)जब अंग्रेजों द्वारा इस बात की घोषणा की घोषणा की गई कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दे दी जाएगी. उस दौरान भारत के पास अपना कोई संप्रभु संविधान नहीं था. भारत की शासन व्यवस्था अबतक भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित थी. इसी कड़ी में 29 अगस्त 1947 को डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक प्रारूप कमेटी का गठन किया गया. इस प्रारूप कमेटी ने 26 नवंबर 1949 को लिखित संविधान को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंप दिया. इसी संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. इसी दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं.
26 जनवरी ही क्यों? (Why 26th January Special)भारत में अंग्रेजो के खिलाफ शुरुआती दौर में तो कई नेता थे लेकिन मॉडरेट नेताओं ने हमेशा ही प्रार्थना, याचिका का रास्ता अपनाया और मॉडरेट नेता ब्रिटिश शासन को को जस्टिफाई भी करते रहे. लेकिन बाद के कांग्रेस के नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की मुहीम की शुरुआत की. नरमदल के नेताओं में कई ऐसे नेता भी आते थे जो ब्रिटिश को भारत से खदेड़ना चाहते थे. हालांकि 1905 के बाद गरमदल के नेताओं का उदय होता है. यहीं से ब्रिटिश के पैर भारत में कमजोर पड़ने लगते हैं. दरअसल भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिलाने की मुहीम शुरू की गई.
26 जनवरी 1949 वह खास दिन बना जब लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ और पहली बार भारत को पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया. इससे पहले तक भारतीयों की मांग सुशासन या स्वराज की थी. लेकिन 26 जनवरी 1949 के इस अधिवेशन के बाद भारतीय नेताओं ने अपना मत बदल लिया और पूर्ण स्वराज्य की मांग करने लगे. हालांकि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कांग्रेस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया ता. लेकिन जब भारत को आजादी मिली तो 26 जनवरी को ही संविधान लागू किया गया. इस खास दिन की याद में 26 जनवरी के दिन भारतीय संविधान को लागू किया जिसके हम इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं.
महान लोकतंत्र (Great Democracy)अमेरिका में हाल ही में जब चुनाव हुए तो इस चुनाव के परिणामों एक चीज तो तय कर दिया कि अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है लेकिन भारत दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र है. इसका मुख्य कारण भी हमारा इतिहास ही रहा है. कुछ लोगों का सवाल अक्सर यह होता है कि अगर सन 1857 के सिपाही क्रांति के बाद भारत को आजादी मिल जाती तो क्या होता. इसका सीधा जवाब यह है कि हमारा लोकतंत्र इतना मजबूत नहीं होता क्योंकि अगर उस समय हमें आजादी मिल जाती तो शायद सती प्रथा का अंत न होता, महिलाओं या नीचले तबगे के लोगों को मत का अधिकार न होता या समाज में सभी को बराबरी का हक न मिल पाता. ऐसी परिस्थिती में भारतीय लोकतंत्र एक महान लोकतंत्र के रूप में कभी उभर कर सामने न आता.
सबसे बड़ा संविधान (World Biggest Hand Written Constitution)भारतीय संविधान इस दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है. कुछ लोगों का तर्क यह होता है कि भारतीय संविधान के ज्यादातर प्रावधानों को विदेशी संविधानों से लिया गया है. हालांकि इसमें कुछ गलत नहीं है. क्योंकि अगर दुनिया में कुछ अच्छी चीजें संविधान में मौजूद हैं तो उसे स्वीकार करने में किसी प्रकार का हर्ज नहीं होना चाहिए. खुद बाबा साहब अंबेडकर ने इस बात को स्वीकारा था. उन्होंने कहा था कि दुनिया भर के कई देश हमसे पहले आजाद हो चुके हैं. ऐसे में किसी देश के संविधान में कुछ अच्छाई है तो उसे स्वीकारने में हर्ज नहीं है.
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26th January Indian Constitution Republic Day Republic Day 2021
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Published Date: January 25, 2021 12:43 PM IST
Updated Date: January 25, 2021 4:00 PM IST
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