rajyasabha ke liye kitne sadasyon ko bhartiya rashtrapati dwara manoneet kiya jata hai
Mohammed
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राज्य सभा
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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित यह लेखन प्रतियोगिता 1 फ़रवरी से 31 मार्च तक चलेगी।
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सदस्यों की सूची के लिए, राज्यसभा के वर्तमान सदस्यों की सूची देखें।
राज्यसभा राज्यों की परिषद भारत का राजचिह्न प्रकार
सदन प्रकार उच्च सदन काभारत की संसद
अवधि सीमा ६ वर्ष नेतृत्व
भारत के उपराष्ट्रपति
([[ ]]) राज्य सभा के सभापति
११ अगस्त २०२२[1] से
उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, जद(यू)
९ अगस्त २०१८[2] से
सदन के नेता पीयूष गोयल, भाजपा
१४ जुलाई २०२१[3] से
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस
१६ फरवरी २०२१[4] से संरचना
सीटें २४५ (२३३ निर्वाचित + १२ मनोनीत)
राजनीतिक समूह
सरकार (१२०)राजग (१२०)भाजपा (१००) अन्ना-द्रमुक (५) जद(यू) (४) अगप (१) एमएनएफ (१) यूपीपीएल (१) एनपीपी (१) एसडीएम (१) पीएमके (१) रिपाइं(ए) (१) टीएमसी(एम) (१) निर्दलीय (१) मनोनीत (३)
विपक्ष (११७)संप्रग (४७)कांग्रेस (२९) द्रमुक (१०) राकांपा (४) एजीएम (१) आईयूएमएल (१) झामुमो (१) एमडीएमके (१)
अन्य (७०)तृणमूल (१३) बीजद (९) आप (८) तेरास (७) वायएसआरसीपी (६) माकपा (५) सपा (५) राजद (५) शिवसेना (३) बसपा (३) भाकपा (२) जद(से) (१) शिअद (१) तेदेपा (१) केसी(एम) (१)
रिक्त (८)रिक्त (८) चुनाव
निर्वाचन प्रणाली राज्य विधानसभाओं द्वारा एकल संक्रमणीय मत से 233 सदस्य, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त 12 सदस्य
पिछला चुनाव ५ जुलाई २०१९
अगला चुनाव १८ जुलाई २०१९
विधान सभा सत्र भवन
राज्यसभा चैम्बर, संसद भवन,
संसद मार्ग, नई दिल्ली, भारत - ११०००१
वेबसाइट राज्य सभा
राज्य सभा भारतीय संसद की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं। जिनमे १२ सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य ६ साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर २ साल में सेवा-निवृत होते हैं।किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। जुलाई 2018 से, राज्यसभा सांसद सदन में 22 भारतीय भाषाओं में भाषण कर सकते हैं क्योंकि ऊपरी सदन में सभी 22 भारतीय भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा है।[5] राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था।
अनुक्रम
1 पृष्ठभूमि 2 संरचना/संख्या 3 स्थानों का आवंटन
3.1 पात्रता (Eligibility)
4 निर्वाचन/नामनिर्देशन की प्रक्रिया
4.1 द्वि-वार्षिक/उप-चुनाव T
4.2 राज्य सभा का संघीय स्वरूप
4.3 राज्य सभा के गैर संघीय तत्त्व
5 पीठासीन अधिकारीगण-सभापति और उपसभापति
5.1 महासचिव
6 राज्य सभा की विशेष शक्तियाँ
6.1 वित्तीय मामलों में राज्य सभा
7 सदन के नेता 8 विपक्ष के नेता
9 सीटों की दलवार स्थिति
10 इन्हें भी देखें 11 बाहरी कड़ियाँ
पृष्ठभूमि[संपादित करें]
राज्य सभा मोन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड प्रतिवेदन से हुआ। भारत सरकार अधिनियम, 1919 में तत्कालीन विधानमंडल के द्वितीय सदन के तौर पर काउंसिल ऑफ स्टेट्स का सृजन करने का उप सीमित था और जो वस्तुत: 1921 में अस्तित्व में आया। गवर्नर-जनरल तत्कालीन काउंसिल ऑफ स्टेट्स का पदेन अध्यक्ष होता था। भारत सरकार अधिनियम, 1935 के माध्यम से इसके गठन में शायद ही कोई परिवर्तन किए गए।संविधान सभा, जिसकी पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई थी, ने भी 1950 तक केन्द्रीय विधानमंडल के रूप में कार्य किया, फिर इसे 'अनंतिम संसद' के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इस अवधि के दौरान, केन्द्रीय विधानमंडल जिसे 'संविधान सभा' (विधायी) और आगे चलकर 'अनंतिम संसद' कहा गया, 1952 में पहले चुनाव कराए जाने तक, एक-सदनी रहा।
स्वतंत्र भारत में द्वितीय सदन की उपयोगिता अथवा अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई और अन्तत: स्वतंत्र भारत के लिए एक द्विसदनी विधानमंडल बनाने का निर्णय मुख्य रूप से इसलिए किया गया क्योंकि परिसंघीय प्रणाली को अपार विविधताओं वाले इतने विशाल देश के लिए सर्वाधिक सहज स्वरूप की सरकार माना गया। वस्तुत:, एक प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित एकल सभा को स्वतंत्र भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अपर्याप्त समझा गया। अत:, 'काउंसिल ऑफ स्टेट्स' के रूप में ज्ञात एक ऐसे द्वितीय सदन का सृजन किया गया जिसकी संरचना और निर्वाचन पद्धति प्रत्यक्षत: निर्वाचित लोक सभा से पूर्णत: भिन्न थी। इसे एक ऐसा अन्य सदन समझा गया, जिसकी सदस्य संख्या लोक सभा (हाउस ऑफ पीपुल) से कम है। इसका आशय परिसंघीय सदन अर्थात् एक ऐसी सभा से था जिसका निर्वाचन राज्यों और दो संघ राज्य क्षेत्रों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया गया, जिनमें राज्यों को समान प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। निर्वाचित सदस्यों के अलावा, राष्ट्रपति द्वारा सभा के लिए बारह सदस्यों के नामनिर्देशन का भी उपबंध किया गया। इसकी सदस्यता हेतु न्यूनतम आयु तीस वर्ष नियत की गई जबकि निचले सदन के लिए यह पच्चीस वर्ष है। काउंसिल ऑफ स्टेट्स की सभा में गरिमा और प्रतिष्ठा के अवयव संयोजित किए गए। ऐसा भारत के उपराष्ट्रपति को राज्य सभा का पदेन सभापति बनाकर किया गया, जो इसकी बैठकों का सभापतित्व करते हैं।
[Solved] राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में कितने सदस
सही उत्तर बारह है। राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा बारह सदस्यों को मनोनीत किया जाता है। Key Points राज्यसभा [अनुच्छेद 80]:
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Question
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राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में कितने सदस्य मनोनीत किए जाते हैं?
This question was previously asked in
Rajasthan Police Constable Official Paper 1 (Held On: 6 Nov 2020 Shift 1)
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बारह पंद्रह दस चौदह
Answer (Detailed Solution Below)
Option 1 : बारह
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सही उत्तर बारह है।
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा बारह सदस्यों को मनोनीत किया जाता है।
Key Pointsराज्यसभा [अनुच्छेद 80]:राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसका विघटन नहीं होता। इसकी अधिकतम संख्या 250 है। वर्तमान राज्यसभा की कुल सदस्यता 245 है। हालांकि, हर दूसरे साल एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
हर तीसरे साल की शुरुआत में नए चुनाव और एक राष्ट्रपति के नामांकन द्वारा उन सीटों को भर दिया जाता है।
राज्यसभा में एससी और एसटी के लिए कोई सीटें आरक्षित नहीं हैं।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (1951) के मुताबिक राज्य सभा के सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होगा।
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है जो साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखते हैं।
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Last updated on Sep 22, 2022
The Uttar Pradesh Police Recruitment and Promotion Board (UPPRPB) has released the final result and category-wise cut-off for UP Police SI (Sub Inspector). The result is declared on 12th June 2022. A total of 9534 candidates were recruited for the post of UP Police SI in this exam cycle of 2020-21. Candidates can check UP Police SI Cut Off from here. The official notification for the next recruitment cycle is expected to be out very soon. So the candidates should continue with their preparation.
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भारतीय संसद के ऊपरी सदन को राज्यसभा कहते हैं. जानिए कैसे चुने जाते हैं इसके सदस्य. इसमें राज्यों के अलावा 12 सदस्य अलग नियम से चुने जाते हैं. जानें- इनके चुनाव की पूरी प्रक्रिया.
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राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का ये है नियम, इनका होता है चयन
राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का ये है नियम, इनका होता है चयन भारतीय संसद के ऊपरी सदन को राज्यसभा कहते हैं. जानिए कैसे चुने जाते हैं इसके सदस्य. इसमें राज्यों के अलावा 12 सदस्य अलग नियम से चुने जाते हैं. जानें- इनके चुनाव की पूरी प्रक्रिया.
राज्यसभा सदन
aajtak.in
नई दिल्ली, 19 मार्च 2020,
(अपडेटेड 19 मार्च 2020, 1:41 PM IST)
भारतीय संसद में दो सदन हैं पहला लोकसभा और दूसरा राज्यसभा. राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन कहा जाता है. बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है. इनमें से 12 वो सदस्य होते हैं जिन्हें स्वयं भारत के राष्ट्रपति मनोनीत या नामित करते हैं. इसके अलावा बाकी बचे 238 सदस्य संघ और राज्य के प्रतिनिधि चुनते हैं.
क्यों हैं वर्तमान में सिर्फ 245 सदस्यइसके पीछे की खास वजह संविधान की अनुसूची चार मानी जाती है. इस अनुसूची के मुताबिक राज्यसभा के सदस्यों का चयन राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की आबादी के आधार पर किये जाने के निर्देश हैं. इस प्रकार जब आबादी के हिसाब से गणना की गई तो राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 233 ही पहुंच पाई, बाकी बचे राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य जोड़कर वर्तमान में राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 245 है.
कैसे होता है तयभारत के किस राज्य से राज्यसभा में कितने सांसद होंगे इसकी गणना राज्य की जनसंख्या के हिसाब से होती है. राज्यसभा के इन सदस्यों का चुनाव विधानसभा के चुने हुए विधायक करते हैं. इस तरह हरेक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या ज्यादातर राज्य की जनसंख्या पर डिपेंड करती है. इस तरह देखा जाए तो सबसे ज्यादा राज्यसभा में उत्तरप्रदेश से 31 सदस्य हैं. वहीं दूसरे राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय, गोवा, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा आदि छोटे राज्यों के सिर्फ एक एक सदस्य हैं. बता दें कि राज्य सभा के सदस्यों को चुनने का तरीका बाकी आम चुनाव या विधानसभा चुनाव से बिल्कुल जुदा होता है. आगे जानिए क्या होता है ये तरीका.
चाहिए होते हैं इतने वोटराज्यसभा में एक उम्मीदवार को चुने जाने के लिए न्यूनतम मान्य वोट की जरूरत होती है. इन वोटों की गिनती सीटों की संख्या पर निर्भर करती है. इसे उत्तर प्रदेश के उदाहरण से इस तरह समझ सकते हैं. उत्तर प्रदेश में जहां विधायकों की कुल संख्या 403 है. अब जानिए किसी सदस्य को राज्यसभा की सीट पाने के लिए कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए. इसकी गणना कैसे होती है. तो बता दें कि इसकी गणना करने का एक अलग ही गणित होता है. इसे कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है.
इस बार यहां से 10 राज्यसभा सदस्यों का चयन होना है. इसमें 1 जोड़ने से यह संख्या 11 होती है. अब कुल सदस्य 403 हैं तो उसे 11 से विभाजित करने पर 36.66 आता है. इसमें फिर 1 जोड़ने पर यह संख्या 37.66 हो जाती है. यानी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी.
इसके अलावा वोट देने वाले प्रत्येक विधायक को यह भी बताना होता है कि उसकी पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार कौन है. इससे वोट प्राथमिकता के आधार पर दिए जाते हैं. यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वो वह जीत जाता है नहीं तो इसके लिए चुनाव होता है.
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