shishuon ke pachan tantra ke liye kaun sa dudh sabse upyukt hai
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नवजात शिशु (0
अपने शिशु को विकसित होते हुए देख हर माता-पिता खुश होते हैं। पहले माह में शिशु का विकास किस प्रकार होता है और उन्हें किन-किन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है? ऐसी तमाम जानकारियां आपको इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलेंगी।
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नवजात शिशु (0-1 महीना) की गतिविधियां, विकास और देखभाल | Navjat Shishu Ka Vikas
Medically reviewed by Dr. Rana Chanchal (MD Pediatrics, DCH)
January 17, 2023 Ankita Mishra द्वारा लिखित
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जब घर में नन्हे शिशु की किलकारियां गूंजती हैं, तो पूरा घर खुशियों से भर जाता है। जन्म के बाद उसे इस नए संसार के साथ तालमेल बिठाने में कुछ समय लग सकता है। फिर दिन-ब-दिन उसका विकास होने लगता है। उसके हाथ-पांव तेजी से चलने लगते हैं। वह मां और घर के अन्य सदस्यों को देखकर चेहरे के तरह-तरह के भावों के साथ अपनी प्रतिक्रिया देता है। इस दौरान उसके साथ खेलना और बाते करना हर किसी को अच्छा लगता है। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में शिशु के पहले माह की ही बात करेंगे। साथ ही बताएंगे कि इस दौरान उसका शारीरिक विकास किस प्रकार होता है। इसके अलावा, नन्हे शिशु से जुड़ी कई रोचक जानकारियां भी आपको इस आर्टिकल में मिलेंगी।
1 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
जन्म के बाद कुछ माह तक शिशु का काम सिर्फ दूध पीना, सोना, रोना, खेलना और नैपी को गंदा करना होता है। इस दौरान शिशु का शारीरिक विकास सामान्य गति से होता रहता है। महीने-दर-महीने उसका वजन व कद बढ़ता रहता है। यहां हम बता रहे हैं कि पहले माह शिशु का वजन व हाइट कितनी होती है।
पहले महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 3.5 से 4.9 किलो के बीच और हाइट 53.8 से.मी. होती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 3.7 से 5.3 किलो के बीच और हाइट 54.8 से.मी. हो सकती है (1) (2)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से यह तय मानक है। हालांकि, वजन व हाइट इससे थोड़ा कम या ज्यादा हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शिशु का विकास ठीक तरह से नहीं हो रहा है। हर शिशु का शरीर अलग होता है, तो उसके विकास की गति भी अलग होती है। इस संबंध में बाल चिकित्सक आपको बेहतर बता सकते हैं।
हर माता-पिता को इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि आमतौर शिशु का वजन इस बात पर निर्भर करता है कि जन्म के समय उसका वजन कितना था। इसलिए, यह नहीं सोचना चाहिए कि शिशु इतने माह का हो गया, तो उसका औसन वजन इतना होना चाहिए। जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, उसका वजन भी लगातार बढ़ता रहता है।
आइए, अब जान लेते हैं कि 1 माह के शिशु में क्या-क्या बदलाव होते हैं।
1 महीने के शिशु का विकास | 1 Mahine Ka Baby
शिशु के पैदा होने के बाद उसमें कई तरह के बदलाव आते हैं। जहां शुरू के कुछ दिन वह आंखें तक नहीं खोलता, वहीं बाद में उसके मस्तिष्क व शरीर के साथ-साथ सामाजिक विकास भी होता है। इन तीनों प्रकार के विकास के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं :
मस्तिष्क का विकास
भूख की समझ : शुरुआत के कुछ दिन में शिशु को भूख के बारे में इतना पता नहीं चलता। उन्हें आप जब दूध पिलाते हैं, वो पी लेते हैं, लेकिन एक माह के होते ही, वो अपनी भूख को पहचानने लगते हैं। उन्हें जब भी भूख लगती है, रोने लगते हैं। अगर आप नोट करें, तो पता चलेगा कि शिशु भी अपना दूध पीने का समय निश्चित कर लेता है और उस तय समय पर ही रोने लगता है (3)।स्वाद की पहचान : इतना छोटा शिशु सिर्फ मां का दूध ही पीता है। फिर भी एक माह का होने के बाद उसे स्वाद की पहचान हो जाती है। अगर मां ऐसा कुछ खा ले, जिससे कि स्तन दूध का स्वाद कुछ बदल जाए, तो शिशु को पता चल जाता है। यहां तक कि शिशु स्तन दूध की गंध तक को पहचाने लगता है (4)।चेहरे या वस्तु की पहचान : एक माह के शिशु का दिमाग इतना विकसित हो जाता है कि वह कुछ खास चेहरों व चीजाें को पहचानने लगता है। खासकर, वह मां को तो जरूर पहचानने लगता है। अगर आप उसकी आंखों के आगे कोई चीज कुछ देर तक रखें, तो वह उसे गौर तक देखता है और पहचानने लगता है। शिशु में यह क्षमता विकसित होने में 6-10 माह भी लग सकते हैं। इसलिए, अगर किसी का 1 माह का शिशु किसी वस्तु को नहीं देखता है, तो चिंता का विषय नहीं है।चीजों व गंध का अहसास : आपका शिशु कठोर, कोमल व खुरदरी चीजों के बीच फर्क को महसूस कर सकता है। वह अच्छी और खराब गंध के बीच भी अंतर महसूस कर सकता है।
शारीरिक विकास
बांह को झटकना : वह अपनी बांह को तेजी से हिला सकता है। इससे पता चलता है कि उसकी मांसपेशियों का विकास तेजी से हो रहा है।अंगों में हरकत : वह अपने शरीर के सभी अंगों को अच्छी तरह से हिलाने-ढुलाने के काबिल हो जाता है (5)।स्पर्श : एक माह का होने के बाद वह अपने हाथों से अपने चेहरे, मुंह, आंखों व कानों आदि को स्पर्श करने लगता है।सिर का पीछे जाना : इतना विकसित होने के बाद भी शिशु इतना सक्षम नहीं हो पाता कि अपने सिर को संभाल सके। अगर उसे गोद में लेकर सहारा न दिया जाए, तो उसका सिर झटके के साथ पीछे की ओर चला जाता है। आपको इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब यह है कि शिशु का विकास अच्छी तरह से हो रहा है।सिर को उठाने की कोशिश : अगर आप उसे पेट के बल लेटाएंगे, तो वह सिर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करेगा। ऐसा वह गर्दन की मांसपेशियों व तंत्रिका तंत्र में हो रहे विकास के कारण कर पाता है।मुट्ठी में पकड़ना : अगर आप उसकी हथेली पर कोई चीज या अपनी उंगली रखेंगे, तो वह उसे कस कर पकड़ने का प्रयास करेगा। इतना ही नहीं वह अपने आसपास की चीजों को खुद भी अपनी मुट्ठी में पकड़ने का प्रयास करेगा (6)।वस्तु पर नजर : आप उसकी आंखों के आगे कोई चीज रखें, जिससे वह आकर्षित हो जाए, तो आप उस वस्तु को जहां-जहां घुमाएंगे, वह उसे लगातार देखेगा। यहां तक कि वह अपने से 8-12 इंच दूर पड़ी वस्तु को अच्छी तरह देख सकता है।नींद में कमी : अमूमन एक शिशु दिन में आठ-नौ घंटे और रात में करीब आठ घंटे सो सकता है। वह एक बार में एक-दो घंटे से ज्यादा नहीं सोता। इस प्रकार कह सकते हैं कि पहले माह में शिशु 24 घंटे में करीब 16 घंटे सोता है, लेकिन एक माह का होते-होते यह अवधि करीब आधा घंटा कम हो जाती है (7)।गतिविधियां : हर शिशु जन्म के समय से ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियांं करता है, जो एक माह के होते-होते बढ़ जाती हैं (8)। डॉक्टर इन गतिविधियों को गंभीरता से चेक करते हैं। अगर इसमें कमी देखी जाती है, तो यह चिंता का कारण होता है।
शिशु को शाकाहारी भोजन खिलाना
शाकाहारी आहार से शिशु को सभी पोषण तत्व मिल सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कर सकती हैं, हमारे इस लेख में जानें। - BabyCenter India
शिशु को शाकाहारी भोजन खिलाना
By Neha Khandelwal | Medically reviewed by Dr Pankaj Vohra, Paediatric gastroenterologist
istock.com / morganl
In this article
क्या शाकाहारी भोजन शिशुओं के लिए उपयुक्त है?
शाकाहारी शिशुओं के लिए कौन से पोषक तत्व महत्वपूर्ण हैं?
क्या मेरे बच्चे को विटामिन अनुपूरकों की आवश्यकता है?
मेरा शिशु आसानी से खाना नहीं खाता। मैं उसे अच्छी तरह से खाना खिलाने के लिए क्या कर सकती हूं?
क्या शाकाहारी भोजन शिशुओं के लिए उपयुक्त है?
शिशुओं के लिए शाकाहारी भोजन बहुत पौष्टिक हो सकता है। हालांकि, शिशु को महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी न हो यह सुनिश्चित करने के लिए आपको सही खाद्य पदार्थों का चयन करना होगा।
यदि आप अपने शिशु को शाकाहारी बना रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप शायद उसे कोई मांस, मछली, समुद्री भोजन या पशु उपोत्पाद जैसे जिलेटिन नहीं देंगे।
शाकाहारी आहार अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। कुछ जगहों पर शाकाहारी लोग, कुछेक पशु उत्पाद, जैसे कि अंडे और दूध खाते हैं।
कुछ लोग कठोर आहार नियम का पालन करते हैं। जैन धर्म के अनुयायी आलू, प्याज, लहसुन और कंद जैसी कोई भी जड़ वाली सब्जी नहीं खाते हैं। दूसरी ओर वीगन आहार वाले दूध और डेयरी उत्पादों सहित पशु मूल की किसी भी वस्तु का सेवन नहीं करते।
शिशु अपने भोजन का आनंद ले सके और उसे सभी जरुरी पोषक तत्व मिलें, इसके लिए आप उसे छह महीने का होने पर मुख्य खाद्य समूहों में से विविधि आहार खिलाएं। जैसे कि:
कार्बोहाइड्रेट जैसे चावल, रोटी, आलू, पास्ता और अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ
फल और सब्जियां
दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ
प्रोटीन जैसे कि अच्छी तरह से पकाए गए राजमा, लोबिया और मूंग व साबुत मूंग, सोया, दाल-दलहन, और मेवे-गिरी व बीज से बने बटर
यदि आप अंडा खाते हैं, तो आप शिशु के छह महीने का होने के बाद से उसे अच्छी तरह से पके हुए अंडे देना शुरु कर सकती हैं। शुरुआत में उसे जर्दी ही दें और फिर पूरा अंडा देना शुरु करें। सुनिश्चित करें कि जर्दी और सफेदी को ठोस होने तक पकाया जाए, क्योंकि इस तरह कीटाणु मर जाते हैं।
ध्यान रखें कि कुछ शाकाहारी भोजन में बहुत अधिक फाइबर हो सकता है और शिशुओं के लिए पर्याप्त ऊर्जा (कैलोरी) नहीं होती। इसलिए सुनिश्चित करें कि शिशु को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे केला, मक्खन फल, हमस और पिसे हुए या सूखे मेवे मिलें।
शिशु को सफेद ब्रेड, पास्ता और चावल भी दिए जा सकते हैं, साथ-साथ इनके साबुत अनाज से बने विकल्प भी उसके लिए सही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उच्च फाइबर वाले बहुत ज्यादा खाद्य पदार्थ शिशु को कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने से रोक सकते हैं।
आपके बच्चे को दूध के स्त्रोतों की भी आवश्यकता होगी। जब तक आपका शिशु एक साल का नहीं हो जाता तब तक स्तनदूध या फॉर्मूला दूध उसके लिए सबसे अच्छा होता है।
यदि आप शिशु को सोया दूध, बादाम दूध या कोई अन्य वीगन दूध देना चाहती हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
जई (ओट्स), चावल और सोया मिल्क (भले ही वे कैल्शियम से समृद्ध हों) उतनी ऊर्जा, प्रोटीन या आवश्यक पोषक तत्व प्रदान नहीं करते हैं, जितना कि स्तनदूध और फॉर्मूला दूध प्रदान करते हैं। जब तक शिशु 12 महीने का नहीं हो जाता तब तक उसे ओट्स मिल्क नहीं देना चाहिए। चावल से बना दूध भी पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
यदि आप सलाह चाहती हैं कि आपके शिशु के लिए कौन सा दूध उपयुक्त है, तो अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करें। वे आपको शायद यही सुझाव देंगे कि शिशु को स्तनपान करवाना या फॉर्मूला दूध देना और लंबे समय तक जारी रखें।
शिशु के आहार में दूध शामिल करने के बारे में यहां और पढ़ें।
शाकाहारी शिशुओं के लिए कौन से पोषक तत्व महत्वपूर्ण हैं?
आपके शिशु के शाकाहारी भोजन में बहुत सारा प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी 12 और सेलेनियम होना चाहिए।
प्रोटीनअपने शिशु को एक दिन में दो से तीन हिस्से प्रोटीन देने की कोशिश करें। प्रोटीन के शाकाहारी स्रोत निम्नलिखित हैं:
दाल-दलहन (जैसे दाल और बीन्स)
पाउडर किए हुए या पीसे हुए मेवे और बीज
अच्छी तरह पके हुए अंडे
सोया और सोया उत्पाद, जैसे टोफू
सीरियल प्रोटीन, जैसे रोटी, ब्रेड, चावल और मकई/मक्का
दूध और डेयरी उत्पाद
मेवे और मूंगफली का पेस्ट
प्रोटीन आवश्यक (एसेंशियल) और गैर-आवश्यक (नॉन एसेंशियल) दोनों तरह के एमीनो एसिड से बना होता है। हमें एसेंशियल एमीनो एसिड केवल भोजन से मिलता है, क्योंकि हमारा शरीर इसे नहीं बना सकता।
शिशु को बढ़ने में मदद के लिए आवश्यक और गैर-आवश्यक दोनों तरह के एमीनो एसिड की जरुरत होती है। अपने शिशु को एक साथ एसेंशियल और नॉन एसेंशियल दोनों तरह के एमीनो एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ दें।
शिशु को आवश्यक और गैर-आवश्यक एमीनो एसिड केवल सोया, किनोआ और अंडे से मिल सकते हैं।
हालांकि, एक भोजन में विभिन्न तरह के प्रोटीन मिलाकर शिशु को देने से उसे सभी जरुरी एमीनो एसिड आसानी से मिल सकेंगे। उदाहरण के तौर पर:
दूध के साथ ब्रेकफास्ट सीरियल्स
दाल-चावल खिचड़ी राजमा-चावल
टोस्ट के साथ दाल, सेम या मटर की दाल से बना सूप
टोस्ट के साथ बेक की हुई बीन्स
ब्रेडस्टिक्स और मुलायम चीज़
हमस और पीटा ब्रेड
शिशु के लिए केवल एक प्रकार के प्रोटीन, जैसे कि केवल चीज़ पर निर्भर न रहें।
आयरनआपके शिशु को हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की जरूरत होती है। हीमोग्लोबिन रक्त में लाल रंग का रंजक (पिगमेंट) होता है, जो फेफड़ों से अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। यदि आपके शिशु को पर्याप्त आयरन नहीं मिलता है, तो उसे आयरन की कमी (एनीमिया) हो सकती है।
ठोस आहार खाने वाले शिशुओं के लिए आयरन के अच्छे शाकाहारी स्रोत हैं:
दाल-दलहन, जैसे कि दाल और छोले या चना, लोबिया, राजमा और सोयाबीन
गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक, मेथी का साग या सरसों का साग, चौलाई और अन्य सब्जियां जैसे हरी भोगी, हरी प्याज, चुकंदर और भिंडी
आयरन से भरपूर फल जैसे कि काले अंगूर, खुबानी - खासकर सूखी या अर्ध सूखी, आलूबुखारे, अनार और जामुन
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