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Mohammed
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आधुनिक लोकतंत्र
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"आधुनिक लोकतंत्र" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR)
आधुनिक लोकतंत्र की कोई ऐसी सुनिश्चित सर्वमान्य परिभाषा नहीं की जा सकती जो इस शब्द के पीछे छिपे हुए संपूर्ण इतिहास तथा अर्थ को अपने में समाहित करती हो। भिन्न-भिन्न युगों में विभिन्न विचारकों ने इसकी अलग अलग परिभाषाएँ की हैं, परंतु यह सर्वदा स्वीकार किया है कि लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है जिसमें जनता की संप्रभुता हो। जनता का क्या अर्थ है, संप्रभुता कैसी हो और कैसे संभव हो, यह सब विवादास्पद विषय रहे हैं। फिर भी, जहाँ तक लोकतंत्र की परिभाषा का प्रश्न है अब्राहम लिंकन की परिभाषा - लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन - प्रामाणिक मानी जाती है। लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है, उसकी अनुमति से शासन होता है, उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है। परंतु लोकतंत्र केवल एक विशिष्ट प्रकार की शासन प्रणाली ही नहीं है वरन् एक विशेष प्रकार के राजनीतिक संगठन, सामाजिक संगठन, आर्थिक व्यवस्था तथा एक नैतिक एवं मानसिक भावना का नाम भी है। लोकतंत्र जीवन का समग्र दर्शन है जिसकी व्यापक परिधि में मानव के सभी पहलू आ जाते हैं।अनुक्रम
1 इतिहास 2 प्रकार
3 संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक लोकतंत्रीय संगठन
4 लोकतंत्र का व्यापक स्वरूप
5 लोकतंत्र के उपादान (टूल्स)
6 लोकतंत्र के शत्रु
इतिहास[संपादित करें]
लोकतंत्र की आत्मा जनता की संप्रभुता है जिसकी परिभाषा युगों के साथ बदलती रही है। इसे आधुनिक रूप के आविर्भाव के पीछे शताब्दियों लंबा इतिहास है। यद्यपि रोमन साम्राज्यवाद ने लोकतंत्र के विकास में कोई राजनीतिक योगदान नहीं किया, परंतु फिर भी रोमीय सभ्यता के समय में ही स्ताइक विचारकों ने आध्यात्मिक आधार पर मानव समानता का समर्थन किया जो लोकतंत्रीय व्यवस्था का महान गुण है। सिसरो, सिनेका तथा उनके पूर्ववर्ती दार्शनिक जेनों एक प्रकार से भावी लोकतंत्र की नैतिक आधारशिला निर्मित कर रहे थे। मध्ययुग में बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी से ही राजतंत्र विरोधी आंदोलन और जन संप्रभुता के बीज देखे जा सकते हैं। यूरोप में पुनर्जागरण एवं धर्मसुधार आंदोलन ने लोकतंत्रात्मक सिद्धांतों के विकास में महत्वपूर्ण योग दिया है। इस आंदोलन ने व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर दिया तथा राजा की शक्ति को सीमित करने के प्रयत्न किए। लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप को स्थिर करने में चार क्रांतियों, 1688 की इंगलैंड की रक्तहीन क्रांति, 1776 की अमरीकी क्रांति, 1789 की फ्रांसीसी क्रांति और 19वीं सदी की औद्योगिक क्रांति का बड़ा योगदान है। इंगलैंड की गौरवपूर्ण क्रांति ने यह निश्चय कर दिया कि प्रशासकीय नीति एवं राज्य विधियों की पृष्ठभूमि में संसद् की स्वीकृति होनी चाहिए। अमरीकी क्रांति ने भी लोकप्रभुत्व के सिद्धांत का पोषण किया। फ्रांसीसी क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के सिद्धांत को शक्ति दी। औद्योगिक क्रांति ने लोकतंत्र के सिद्धांत को आर्थिक क्षेत्र में प्रयुक्त करने की प्रेरणा दी।
प्रकार[संपादित करें]
सामान्यत: लोकतंत्र-शासन-व्यवस्था दो प्रकार की मानी जानी है :
(1) विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र तथा
(2) प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
वह शासनव्यवस्था जिसमें देश के समस्त नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राज्यकार्य संपादन में भाग लेते हैं प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहलाती हैं। इस प्रकार का लोकतंत्र में लोकहित के कार्यो में जनता से विचार विमर्श के पश्चात ही कोई फैसला लिया जाता है। प्रसिद्ध दार्शनिक रूसो ने ऐस लोकतंत्र को ही आदर्श व्यवस्था माना है। इस प्रकार का लोकतंत्र प्राचीन यूनान के नगर राज्यों में पाया जाता था। वर्तमान में स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र चलता है। यूनानियों ने अपने लोकतंत्रात्मक सिद्धांतों को केवल अल्पसंख्यक यूनानी नागरिकों तक ही सीमित रखा। यूनान के नगर राज्यों में बसनेवाले दासों, विदेशी निवासियों तथा स्त्रियों को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था।
आजकल ज्यादातर देशों में प्रतिनिधि लोकतंत्र या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का ही प्रचार है जिसमें जनभावना की अभिव्यक्ति जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा की जाती है। जनता का शासन व्यवस्था और कानून निर्धारण में कोई योगदान नहीं होता तथा जनता स्वयं शासन न करते हुए निर्वाचन पद्धति के द्वारा चयनित शासन प्रणाली के अंतर्गत निवास करती है। इस प्रकार की व्यवस्था को ही आधुनिक लोकतंत्र का मूल विचार बताने वालों में मतभेद है।
संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक लोकतंत्रीय संगठन[संपादित करें]
आजकल सामान्यतया दो प्रकार के परंपरागत लोकतंत्रीय संगठनों को चुनाव पद्धति द्वारा स्वीकार किया जाता है - संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक। संसदात्मक व्यवस्था का तथ्य है कि जनता एक निश्चित अवधि के लिए संसद् सदस्यों का निर्वाचन करती है। संसद् द्वारा मंत्रिमंडल का निर्माण होता है। मंत्रिमंडल संसद् के प्रति उत्तरदायी है और सदस्य जनता के प्रति उत्तरदायी होते है। अध्यक्षात्मक व्यवस्था में जनता व्यवस्थापिका और कार्यकारिणी के प्रधान राष्ट्रपति का निर्वाचन करती है। ये दोनों एक दूसरे के प्रति नहीं बल्कि सीधे और अलग अलग जनता के प्रति विधिनिर्माण तथा प्रशासन के लिए क्रमश: उत्तरदायी हैं। इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्र का प्रधान (राष्ट्रपति) ही वास्तविक प्रमुख होता है। इस प्रकार लोकतंत्र में समस्त शासनव्यवस्था का स्वरूप जन सहमति पर आधारित मर्यादित सत्ता के आदर्श पर व्यवस्थित होता है।
लोकतंत्र का व्यापक स्वरूप[संपादित करें]
लोकतंत्र केवल शासन के रूप तक ही सीमित नहीं है, वह समाज का एक संगठन भी है। सामाजिक आदर्श के रूप में लोकतंत्र वह समाज है जिसमें कोई विशेषाधिकारयुक्त वर्ग नहीं होता और न जाति, धर्म, वर्ण, वंश, धन, लिंग आदि के आधार पर व्यक्ति व्यक्ति के बीच भेदभाव किया जाता है। इस प्रकार का लोकतंत्रीय समाज को लोकतंत्रीय राज्य का आधार कहा जा सकता है।
लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है यह कथन किस की है? » Loktantra Janta Ka Janta Ke Dwara Tatha Janta Ke Liye Shasan Hai Yah Kathan Kis Ki Hai
Loktantra Janta Ka Janta Ke Dwara Tatha Janta Ke Liye Shasan Hai Yah Kathan Kis Ki Hai? ✓ लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है यह कथन किस की है? #12 Answers, ✓ Listen to Expert Answers on Vokal - India’s Largest Question & Answers Platform in 11 Indian Languages.
लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है यह कथन किस की है?...
जनतंत्रनियमराजनीति
DR OM PRAKASH SHARMA
Principal, Education Counselor, Best Experience in Professional and Vocational Education cum Training Skills and 25 years experience of Competitive Exams. 9212159179. dsopsharma@gmail.com
1:10
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लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है यह कथन किस की है राजनीतिक विज्ञान का विषय लोकतंत्र जब उसने बनाया जाता है कि लोकतंत्र की परिभाषा दें दो प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और हमारे देश की जानकार और इस कथन को पूर्ण रूप से परिभाषित करने के लिए पूछे आधारित बनाने के लिए उन दार्शनिकों की उन राजनीतिक जून की परीक्षा को स्वर्ग बना दे देश की पूर्व प्रधानमंत्री ने इसको चरितार्थ करा था और संविधान के अनुसार एक को व्यक्त किया था सविधान में राजनीति में और हमारे कानूनी विभिन्न लोगों ने इस विषय में अपनी अपनी पर चर्चा की और टिप्पणियां की
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[Solved] किसने लोकतंत्र को जनता का,जनता के लिए और जनता �
सही उत्तर अब्राहम लिंकन है। अब्राहम लिंकन के शब्द उन सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने "जनता का, जनता के लिए, जनता के
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किसने लोकतंत्र को जनता का,जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन के रूप में परिभाषित किया था?
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UGC NET Paper 2: Education 21st June 2019 Shift 2
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महात्मा गाँधी अब्राहम लिंकन जॉन एफ. कैनेडी जॉर्ज वाशिंगटन
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Option 2 : अब्राहम लिंकन
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सही उत्तर अब्राहम लिंकन है।
अब्राहम लिंकन के शब्द उन सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने "जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन,का दुनिया से ख़त्म नहीं होगा" के लिए अपना जीवन बलिदान किया, गेट्सबर्ग के द्वारा कहा गया था, लेकिन ये शब्द अनगिनत सैनिकों पर भी लागू होते हैं जो अगले 150 वर्षों में लोकतंत्र की खातिर मर गए।लोकतंत्र राष्ट्रों के बीच एक प्रकार का संघर्ष प्रबंधन है, बहुत कूटनीति राज्यों के भीतर संघर्ष प्रबंधन का एक रूप है।इसलिए, वे आम तौर पर विरोधी राय और विभिन्न मान्य आवश्यकताओं के बीच संतुलन कायम करते हैं।
यह निश्चित रूप से ऐसा मामला है जहां किसी निर्णय में सदस्य राज्यों के भीतर और सर्वसम्मति से शामिल होता हैं।
Additional Informationलोगों के स्वामित्व वाली सरकार को लोकतंत्र कहा जाता है। लोकतंत्र में, जब नागरिक 18 वर्ष का हो जाता है, तो एक व्यक्ति को वोट देने का अधिकार हो जाता है, तो देश का संचालन कैसे किया जाता है, जिससे वह राजशाही या तानाशाही से अलग हो जाता है। एक व्यक्ति जो राजा या अत्याचारी होता है उसके पास तानाशाही में सारी शक्ति होती है।
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